
मॉस्को। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जब से दूसरी बार सत्ता में लौटे हैं, दूसरे देशों को टैरिफ के नाम पर लगातार धमका रहे हैं। ट्रंप ने रूस के खिलाफ कड़े प्रतिबंध और उससे तेल खरीदने वाले देशों (भारत भी शामिल) पर 100% टैरिफ लगाने की धमकी दी है। ट्रंप की डेडलाइन इस शुक्रवार खत्म हो रही है, लेकिन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के झुकने के आसार कम हैं। सूत्रों का कहना है कि पुतिन के लिए ट्रंप की धमकी मायने नहीं रखती, उनका फोकस यूक्रेन के चार प्रमुख शहरों पर पूरी तरह से कब्जा करना है।
क्रेमलिन से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पुतिन का लक्ष्य साफ है- यूक्रेन के डोनेट्स्क, लुहांस्क, ज़ापोरिज़िया और खेरसॉन क्षेत्रों पर पूरी तरह कब्ज़ा करना। जब तक ये चारों क्षेत्र पूरी तरह रूस के नियंत्रण में नहीं आ जाते, तब तक वह युद्ध रोकने को तैयार नहीं हैं।
ट्रंप ने साफ कहा है कि अगर रूस युद्ध नहीं रोकता तो न सिर्फ नए प्रतिबंध लगाए जाएंगे, बल्कि जो देश रूसी तेल खरीदते हैं (जैसे भारत और चीन), उन पर भी 100% शुल्क लगाया जाएगा। लेकिन सूत्रों का कहना है कि पुतिन को लगता है कि अब तक के प्रतिबंधों से रूस पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है और वह और प्रतिबंधों से भी डरने वाले नहीं हैं।
पुतिन अमेरिका और ट्रंप से रिश्ते खराब नहीं करना चाहते। लेकिन उनके लिए युद्ध में जीत ज़्यादा अहम है। उन्हें भरोसा है कि रूस इस समय मैदान में आगे बढ़ रहा है और यूक्रेन दबाव में है। अगर वो अभी युद्ध रोकते हैं, तो ना जनता और ना ही सेना इसे स्वीकार करेगी।
रूस और यूक्रेन के बीच मई से अब तक तीन दौर की बातचीत हुई है, लेकिन उनमें कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। रूस ने संकेत दिया है कि वह दीर्घकालिक शांति चाहता है, लेकिन उसकी मांगें बहुत सख्त हैं—यूक्रेन को चारों क्षेत्रों से पूरी तरह हटना होगा और अपने सैन्य आकार को सीमित करना होगा, जो कि कीव ने खारिज कर दिया है।
अगर ट्रंप अपने टैरिफ की धमकी को अमल में लाते हैं, तो इसका असर भारत और चीन जैसे देशों पर भी पड़ सकता है, जो बड़ी मात्रा में रूसी तेल खरीदते हैं। लेकिन रूस को भरोसा है कि ये देश ट्रंप के कहने पर तेल खरीदना नहीं रोकेंगे। ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ इस हफ्ते रूस पहुंच सकते हैं। माना जा रहा है कि अंतिम प्रयास के तहत एक समझौते की कोशिश की जाएगी। हालांकि, रूस में यह भी चर्चा है कि ट्रंप ने पहले भी धमकियां दी हैं और बाद में फैसला बदल दिया है।
रूस ने 2025 के पिछले तीन महीनों में यूक्रेन से 500 वर्ग किमी से ज़्यादा जमीन पर कब्जा किया है। हालांकि, ये क्षेत्रफल यूक्रेन के कुल क्षेत्रफल का सिर्फ 1% ही है। लेकिन पुतिन का मानना है कि यूक्रेनी मोर्चा अगले दो-तीन महीनों में पूरी तरह टूट सकता है।