त्रियुगीनारायण मंदिर जहां भोलेनाथ और मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता है।

त्रियुगीनारायण मंदिर ऊखीमठ ब्लॉक में स्थित है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण का केंद्र है। उत्तराखंड जाने वाले श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन के लिए जरूर जाते हैं। बता दें कि हरी-भरी पहाड़ियों के बीच खूबसूरत दृश्यों वाले त्रियुगीनारायण मंदिर में जब दूल्हा-दुल्हन पवित्र अग्निकुंड के समक्ष सात फेरे लेते हैं। माना जाता है कि स्वयं भोलेनाथ और मां पार्वती का आशीर्वाद मिलता है। 

साल 2018 में उत्तराखंड सरकार ने त्रियुगीनारायण मंदिर को डेस्टिनेशन वेडिंग स्थल घोषित कर दिया है। सरकार की तरफ से इस मंदिर को डेस्टिनेशन वेडिंग घोषित किए जाने के बाद से यहां पर देश-विदेश से लोग शादी के लिए आते हैं। त्रियुगीनारायण मंदिर में हर साल करीब 200 शादी होती हैं।

भगवान शिव-पार्वती ने यहां की थी शादी

त्रियुगीनारायण मंदिर की लोकप्रियता शादी के लिए कपल्स के बीच बढ़ने की खास वजह भी है। त्रियुगीनारायण मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। धार्मिक मान्यता है कि इसी स्थान पर भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था। त्रियुगीनारायण मंदिर को शिव-पार्वती के विवाह का प्रतीक भी माना जाता है।

स्थानीय लोगों के मुताबिक शिव-पार्वती के विवाह के दौरान यहां पर जलाई गई अग्नि आज भी जल रही है। इस विवाह में श्रीहरि विष्णु ने मां पार्वती के भाई बने थे और ब्रह्म देव पुरोहित बने थे। इसलिए इस विवाह स्थल को ब्रह्म शिला भी कहते हैं। यह शिला मंदिर के ठीक सामने है और मंदिर की स्थापना त्रेता युग में हुई थी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, त्रियुगीनारायण मंदिर में शादी के लिए वेडिंग पैकेज मिलता है। इस पैकेज में शादी का पूरा इंतजाम शामिल है। हल्दी-मेहंदी और संगीत के फंक्शन से लेकर शादी, रुकने की व्यवस्था, सजावट और खानपान तक की सारी सुविधाएं इस वेडिंग पैकेज में मिल जाती हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग से लेकर वेडिंग प्लानर तक की सारी सुविधाएं इस पैकेज के तहत आती हैं। कपल और परिवार को सिर्फ तैयार होकर शादी की रस्मों में शामिल होना होता है। वेडिंग पैकेज करीब 3-4 लाख का हो सकता है। 

बता दें कि अगर आप इस स्थान पर शादी करने की इच्छा रखते हैं तो आप अपने परिवार और करीबी रिश्तेदारों के साथ यहां आ सकते हैं। क्योंकि इस मंदिर में शादी करने के लिए आप अधिक भीड़ नहीं ला सकते हैं। दूल्हा और दुल्हन की तरफ से सिर्फ 15-15 लोग शादी में शामिल हो सकते हैं। साथ ही मंदिर में प्लास्टिक का सामान लाने पर बैन है। यहां पर धूम्रपान और शराब का सेवन भी वर्जित है।

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