बाघ वन महकमे के लिए बना अबूझ पहेली 

लखनऊ। रहमानखेड़ा के इलाके में पिछले एक महीने से ज्यादा समय से एक बाघ की तलाश जारी है, लेकिन वन महकमे के लिए यह अबूझ पहेली बनी हुई है। तमाम प्रयासों और भारी भरकम टीम के बावजूद, बाघ को पकड़ने में अब तक सफलता नहीं मिली है। इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए अब दुधवा टाइगर रिजर्व से दो हथिनियों सुलोचना और डायना को मदद के लिए बुलाया गया है। इन हथिनियों को बाघ की तलाश में लगाकर उसे पकड़ने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन अभी तक बाघ पकड़ से बाहर है।

बाघ के इस इलाके में सक्रिय होने के कारण स्थानीय लोग और वन विभाग के अधिकारी चिंतित हैं। बाघ की तलाश के लिए विभिन्न उपायों और उपकरणों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन बाघ की चालाकी और घनी झाड़ियों में छिपने की वजह से वह पकड़ में नहीं आ रहा है। वन महकमे द्वारा बाघ की सुरक्षित पकड़ और स्थानीय समुदाय के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास लगातार जारी हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक, जिस तरीके से बाघ टीम को छकाने में लगा है, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उसकी उम्र पांच से छह वर्ष के आसपास हो सकती है। जंगल का इलाका बहुत बड़ा होने के कारण बाघ शिकार के बाद आसानी से ओझल हो जाता है, जिससे उसे पकड़ने में समस्या हो रही है। इसके अलावा, मौसम की वजह से भी रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किलें आ रही हैं, खासकर कोहरे के कारण दृश्यता में कमी हो रही है और इससे बाघ की पहचान और उसका पीछा करना और भी कठिन हो गया है।

वन विशेषज्ञों की एक टीम बाघ के व्यवहार को समझने की कोशिश कर रही है, ताकि उसकी आदतों का अध्ययन कर उसे सुरक्षित तरीके से पकड़ा जा सके। हालांकि, वन विभाग का यह भी कहना है कि बाघ के आदमखोर होने की संभावना बेहद कम है, और यह सामान्य रूप से जंगल में रहने वाला बाघ हो सकता है जो शिकार करता है लेकिन मनुष्यों को नुकसान पहुंचाने की कोई स्पष्ट वजह नहीं है।

इस बीच, बाघ की सुरक्षित पकड़ सुनिश्चित करने के लिए वन विभाग अपनी कोशिशों में जुटा हुआ है और इलाके में सुरक्षा उपायों को बढ़ाया जा रहा है ताकि लोग भी सुरक्षित रहें। वन विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क रहने और घरों के आसपास रोशनी का प्रबंध करने की सलाह दी है।

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