
समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर जोरदार निशाना साधा है। उन्होंने “योगी” शब्द का संदर्भ देते हुए कहा कि एक व्यक्ति वस्त्रों से नहीं, बल्कि वचनों से योगी होता है। अखिलेश यादव का यह बयान उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उनके लगातार उठते सवालों का हिस्सा था।
अखिलेश यादव ने कहा, “कोई व्यक्ति वस्त्र से नहीं, वचन से योगी होता है।” यहां उन्होंने यह तंज कसा कि कुछ लोग धार्मिक प्रतीकों को अपनाकर या विशेष वस्त्र पहनकर खुद को योगी के रूप में प्रस्तुत करते हैं, लेकिन असल में एक योगी का आचरण, विचार और वचन होते हैं जो समाज के कल्याण के लिए होते हैं, न कि सत्ता और राजनीति के लिए।उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर यह आरोप भी लगाया कि वे सिर्फ अपनी छवि बनाने के लिए धार्मिक प्रतीकों का सहारा लेते हैं, जबकि उनका असल काम और उनकी राजनीति समाज के हित में नहीं है।
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर यह भी आरोप लगाया कि जो लोग राज्य सरकार चला रहे हैं, वे विकास के बजाय विनाश के प्रतीक बन गए हैं। जिनका काम सरकार चलाना है वो बुलडोजर चला रहे हैं। उनका इशारा उत्तर प्रदेश में चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान की तरफ था, जो कथित तौर पर अपराधियों और अवैध निर्माण पर कार्रवाई के नाम पर किए जा रहे हैं।अखिलेश का कहना था कि अगर किसी राज्य के मुख्यमंत्री का काम केवल विनाश करना और विरोधियों को दमन के माध्यम से शांत करना है, तो यह विकास नहीं हो सकता।
अखिलेश यादव ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार द्वारा संत समाज के बीच विवाद और झगड़े करवाए जा रहे हैं। इसका इशारा योगी आदित्यनाथ के साथ जुड़े संतों और धार्मिक नेताओं के बीच उभरते मतभेदों की ओर था, जो कभी एकजुट थे। उन्होंने कहा कि जो खुद को संत मानते हैं, वे दूसरों को सम्मान देते हैं, न कि उन पर दबाव डालते हैं या उन्हें आपस में लड़वाते हैं। संतों का काम समाज को जोड़ना है, न कि धर्म के नाम पर सत्ता की राजनीति करना।
अखिलेश यादव ने बिना सीधे तौर पर नाम लिए यह सवाल उठाया कि, “जो खुद से बड़ा किसी और को नहीं मानते, वे कैसे योगी हो सकते हैं?” उनका इशारा योगी आदित्यनाथ के आत्ममुग्ध व्यवहार और उनकी राजनीति की ओर था। उनके अनुसार, एक योगी को अपने अहंकार और सत्ता की राजनीति से ऊपर उठकर समाज के भले के लिए काम करना चाहिए।
अखिलेश यादव ने कहा कि संतों का काम प्रवचन देना और वचन से समाज का मार्गदर्शन करना होता है। उनका मानना था कि जो संत होते हैं, वे अपने वचनों में संयम और शांति का पालन करते हैं, जबकि योगी आदित्यनाथ की राजनीति में विनाश और विरोध का माहौल है।अखिलेश का कहना था कि यदि कोई नेता समाज को जोड़ने की बजाय उसका विभाजन करता है, तो वह वास्तविक योगी नहीं हो सकता।
अखिलेश यादव का यह बयान 2024 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि यह बयान योगी आदित्यनाथ के शासन के खिलाफ एक और आलोचना है। उनका यह बयान उत्तर प्रदेश की राजनीति में सत्ता और धर्म के गठजोड़ के खिलाफ एक विचारधारा को स्पष्ट करता है, जो समाजवादी पार्टी के विकास और समानता के दृष्टिकोण को सामने लाता है। सपा प्रमुख का यह बयान धार्मिक राजनीतिकरण और विनाशक कार्रवाई की आलोचना करता है, और यह विकास, समाज की एकता, और संविधानिक मूल्यों की रक्षा की ओर संकेत करता है।