यह सरकार संविधान को कमजोर कर रही है: प्रियंका गांधी

प्रियंका गांधी वाद्रा ने अपने पहले लोकसभा भाषण में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, विशेषकर भारतीय संविधान को कमजोर करने के संदर्भ में। 75वीं वर्षगांठ पर संविधान को अपनाने की चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार संविधान के मूल्यों को नष्ट कर रही है, जो देश की लोकतांत्रिक संरचना और मूल सिद्धांतों का आधार हैं। प्रियंका ने यह भी स्पष्ट किया कि संविधान भारत की आवाज़ के रूप में कार्य करता है, और इसके भीतर निहित सिद्धांत राष्ट्र की दिशा निर्धारित करते हैं। उनके मुताबिक, मौजूदा सरकार ने यह समझ लिया है कि देश में संविधान में बदलाव की कोई गुंजाइश नहीं है, खासकर जब भाजपा को लोकसभा चुनावों में हारने का सामना करना पड़ा। यह बयान संविधान की रक्षा और उसके मूल्यों की सुरक्षा के प्रति प्रियंका गांधी के दृढ़ रुख को दर्शाता है।

प्रियंका गांधी ने अपने पहले लोकसभा भाषण में जाति जनगणना को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने इसे समय की मांग बताया और कहा कि जाति जनगणना से नीतियां बनाने में मदद मिलेगी, ताकि समाज के सभी वर्गों के लिए उचित योजना बनाई जा सके। प्रियंका ने आरोप लगाया कि सरकार संविधान को कमजोर कर रही है, और यह दुखद है कि विपक्ष ने उस संविधान को तोड़ने की कोशिश की है, जो भारतीय जनता की रक्षा करता है।

प्रियंका ने यह भी कहा कि सरकार और विपक्ष ने जाति जनगणना के मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की, जबकि यह मुद्दा देश की सामाजिक और आर्थिक नीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उनके अनुसार, सरकार ने एकता को तोड़ने की दिशा में काम किया है, और विपक्ष की आवाज़ को नजरअंदाज किया है, जो जाति जनगणना के समर्थन में थी। इस भाषण के माध्यम से प्रियंका गांधी ने संविधान और सामाजिक न्याय की रक्षा की आवश्यकता को प्रमुखता से उठाया।

प्रियंका गांधी ने कहा कि संभल के शोक संतप्त परिवारों के कुछ लोग हमसे मिलने आये थे। इनमें दो बच्चे भी थे- अदनान और उज़ैर। उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था और दूसरा उससे छोटा, 17 साल का था। उनके पिता एक दर्जी थे। दर्जी का एक ही सपना था – वह अपने बच्चों को पढ़ाएगा, एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा। पुलिस ने उनके पिता को गोली मार दी। 17 वर्षीय अदनान ने मुझसे कहा कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा। यह सपना और आशा उनके दिल में भारत के संविधान ने पैदा की थी

कांग्रेस नेत्री ने कहा कि हमारा संविधान ‘सुरक्षा कवच’ है। ऐसा ‘सुरक्षा कवच’ जो नागरिकों को सुरक्षित रखता है- ये न्याय का, एकता का, अभिव्यक्ति के अधिकार का ‘कवच’ है। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि 10 साल में बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष के साथियों ने इस ‘कवच’ को तोड़ने की तमाम कोशिशें कीं। संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा करता है। ये वादे एक सुरक्षा कवच हैं और इसे तोड़ने का काम शुरू हो गया है।’ लैटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए यह सरकार आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। 

प्रियंका गांधी ने अपने पहले भाषण में महिलाओं, किसानों, बेरोजगारी, महंगाई, और सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान ने महिलाओं को शक्ति दी है, लेकिन आज भी महिलाओं को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने सवाल किया कि महिलाओं को अब तक क्या फायदा नहीं मिला और क्या उन्हें 10 साल और इंतजार करना होगा। इस पर उन्होंने “नारी शक्ति” के संदर्भ में सरकार की नीतियों पर निशाना साधा और कहा कि सत्ताधारी दल केवल अतीत की घटनाओं की बात करता है, जबकि भविष्य के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

प्रियंका गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार किसानों को सुरक्षा देने, बेरोजगारी और महंगाई के समाधान में असमर्थ है। उन्होंने यह भी कहा कि जब लोग संविधान से उम्मीद करते थे कि यह उनकी रक्षा करेगा, तब अडानी मुद्दे ने उस विश्वास को समाप्त कर दिया है। उनका यह बयान सत्ता में बैठे लोगों की आलोचना और उनके वादों से मुकरने के खिलाफ था। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि पहले जब कांग्रेस सरकार के समय संसद चलती थी, तो जनता को उम्मीद थी कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी पर ध्यान देगी, लेकिन अब यह उम्मीद पूरी होती नहीं दिखती।

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