समुद्री सुरंगें बनाने का काम शुरू हो चुका

केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट को लेकर नई जानकारियां साझा की हैं। उन्होंने मुंबई-अहमदाबाद रूट पर प्रोजेक्ट की प्रगति को लेकर कहा कि अब तक 508 किलोमीटर में से 270 किलोमीटर के मार्ग पर तारों के लिए डक्ट बिछाने का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट का काम समय पर है। मुंबई-ठाणे के बीच समुद्र के नीचे बन रही सुरंग का काम भी शुरू हो चुका है। वैष्णव ने बताया कि इस रूट पर पड़ने वाली आठ नदियों पर पुल निर्माण का काम भी तेजी से जारी है। दो पुलों का काम पूरा भी हो चुका है। साबरमती टर्मिनल स्टेशन का काम पूरा होने की कगार पर ही है।

रेल मंत्री ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के मद्देनजर अयोध्या धाम स्टेशन की क्षमता बढ़ाने पर भी बात की। उन्होंने कहा कि अयोध्या में पांच स्टेशन हैं और इन सभी को क्षमता बढ़ाने के लिए तैयार किया जा रहा है। यहां लखनऊ से आने वाली रेल लाइनों के दोहरीकरण का काम जारी है। इसके साथ ही वाराणसी जाने वाली लाइनों को भी डबल किया जा रहा है। प्रयागराज और गोरखपुर से आने वाली लाइनों को भी बढ़ाया जा रहा है।हाई स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने सोमवार को बताया  कि उसने मुंबई-अहमदाबाद रेल कॉरिडोर के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और दादर और नगर हवेली में भूमि अधिग्रहण का काम 100 प्रतिशत पूरा कर लिया है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी भूमि अधिग्रहण की स्थिति साझा करते हुए बताया था कि परियोजना के लिए आवश्यक पूरी 1389.49 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। मुंबई और अहमदाबाद के बीच हाई स्पीड रेल लाइन बनाई जा रही है।एनएचएसआरसीएल ने एक बयान में कहा कि परियोजना के लिए सभी सिविल ठेके गुजरात और महाराष्ट्र के लिए दिए गए थे। इनमें 120.4 किलोमीटर गर्डर लॉन्च किए गए और 271 किलोमीटर घाट ढलाई का काम पूरा हो गया।    

गुजरात के वापी, बिलिमोरा, सूरत, भरूच, आणंद, वडोदरा, अहमदाबाद और साबरमती में एचएसआर स्टेशन निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। हाई-स्पीड रेल लाइन जापान की शिंकानसेन तकनीक का उपयोग करके बनाई जा रही है, और परियोजना का उद्देश्य लोगों को हाई फ्रिक्वेंसी सार्वजनिक यातायात सुविधा उपलब्ध करवाना है। इस परियोजना को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) की ओर से जापान से 88,000 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन के साथ वित्त पोषित किया गया है। 1.10 लाख करोड़ रुपये की इस परियोजना के 2022 तक पूरा होने की उम्मीद थी, लेकिन भूमि अधिग्रहण में बाधाओं का सामना करना पड़ा। सरकार ने दक्षिण गुजरात के सूरत और बिलिमोरा के बीच बुलेट ट्रेन के पहले चरण को 2026 तक चलाने का लक्ष्य रखा है।

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