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शाही शब्द हमारी भारतीय संस्कृति की परंपरा में नहीं: महंत रविन्द्र पुरी

साधु-संतों ने यहां बृहस्पतिवार को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदु धार्मिक उत्सवों में उपयोग होने वाले ‘शाही’ शब्द को हटाकर उसकी जगह राजसी अथवा अन्य सनातनी शब्दों का प्रयोग किया जाए।

साधु संतों की सर्वोच्च संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने कहा कि जल्द ही सभी अखाड़ों की एक बैठक बुलाकर उसमें शाही और पेशवाई सहित उर्दू के अन्य शब्दों को हटाकर भारतीय संस्कृति के अनुरूप शब्दों का प्रयोग करने का प्रस्ताव पारित किया जायेगा।

अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी (निरंजनी) ने कहा, ‘‘शाही जैसा शब्द हमारी भारतीय संस्कृति की परंपरा में नहीं है। शाही और पेशवाई जैसे शब्द गुलामी के प्रतीक हैं और इन्हे मुगल शासकों द्वारा अपनी शान में उपयोग किया जाता था।’’

उन्होंने कहा कि ये शब्द उर्दू के हैं जबकि प्राचीन भारतीय सनातन संस्कृति की हिंदी, देवनागरी व संस्कृत है। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में राजसी जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाता था। महंत पुरी ने कहा कि कुंभ में निकलने वाली संतो की शाही सवारी और पेशवाई जैसे शब्दों को बदला जाएगा।

उन्होंने कहा कि शाही की जगह राजसी शब्द का उपयोग सही होगा जबकि पेशवाई शब्द का हिंदी अथवा संस्कृत का विकल्प तलाशा जाएगा। उज्जैन में महाकाल की शाही यात्रा के दौरान यादव ने शाही को उर्दू का शब्द बताते हुए उसे गुलामी का प्रतीक बताया था।

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