गोदावरी का जल औषधि है I

गोदावरी नदी भारतीय संस्कृति, धर्म और आस्था में एक विशेष स्थान रखती है। इसे “दक्षिण की गंगा” भी कहा जाता है और इसका जिक्र प्राचीन ग्रंथों में बार-बार मिलता है। ब्रह्मपुराण में गोदावरी की महिमा का विस्तार से वर्णन किया गया है, और इसे पवित्र और औषधीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। आयुर्वेद में गोदावरी के जल को औषधि के रूप में माना गया है। इसे पीने से शरीर में अमृत का संचार होता है और यह विभिन्न शारीरिक विकारों को दूर करने में मदद करता है। गोदावरी के जल का सेवन शारीरिक एवं मानसिक शांति और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। इसके जल को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, और इसे नहाने या स्नान करने के लिए भी उपयुक्त माना जाता है।

गोदावरी के प्रमुख तीर्थों में नासिक की महिमा बहुत मानी जाती है। यहां पर त्र्यम्बकेश्वर की गणना द्वादश−ज्योतिर्लिंग में की जाती है। भगवान राम ने यहीं पंचवटी में वनवास के कई साल बिताये थे। यहीं से सीता का हरण हुआ था। प्रत्येक बारह वर्ष पर जब बृहस्पति सिंह राशि में होते हैं तो नासिक में कुम्भ पर्व होता है। मुंबई से दिल्ली जाने वाले मार्ग पर नासिक रोड़ प्रसिद्ध स्टेशन है। नासिक और पंचवटी वास्तव में दोनों एक नगर हैं। गोदावरी दोनों के बीच से बहती है। दोनों ही तटों पर तीर्थों की भरमार है।

ब्रह्मपुराण के अनुसार, गोदावरी नदी का अवतरण महर्षि गौतम के आशीर्वाद से हुआ था। एक समय ऐसा आया था जब महर्षि गौतम के आश्रम में अनावृष्टि (वर्षा का अभाव) के कारण सूखा पड़ गया था। इसके बाद, गौतम ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप भगवान शिव ने उन्हें आशीर्वाद देते हुए गोदावरी को पृथ्वी पर अवतरित किया। इससे न केवल महर्षि गौतम को सुख और समृद्धि मिली, बल्कि इस नदी के आगमन से आसपास के क्षेत्र में जीवन और हरियाली का संचार हुआ।

गोदावरी नदी का उद्गम पश्चिम घाट के त्र्यम्बक पर्वत से हुआ है, जो महाराष्ट्र राज्य में स्थित है। यह नदी पश्चिमी भारत से होकर गुजरती है और बंगाल की खाड़ी में मिलती है। इसकी लंबाई लगभग 1465 किलोमीटर है, जो इसे भारत की प्रमुख नदियों में से एक बनाती है।

गोदावरी नदी का महत्व केवल एक जल स्रोत के रूप में नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, धर्म और आयुर्वेद का अभिन्न हिस्सा है। इसके जल का शुद्धिकरण और औषधीय गुण न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं, बल्कि यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी आवश्यक माना गया है।

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