काशी में मसान होली खेलने की परम्परा

वाराणसी। रंग होली से पहले काशी यानी वाराणसी में श्मशान की राख से होली खेली जाती है। काशी में फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी के अगले दिन हर साल मसान होली मनाई जाती है। इस साल काशी में मसान होली 11 मार्च को खेली जाएगी। श्मशान घाट पर चिता की राख से होली खेलने की अनोखी परंपरा ‘मसान की होली’ सदियों से चली आ रही है। इसका गहरा आध्यात्मिक महत्व है। लोग श्मशान में होली खेलकर जीवन और मृत्यु के चक्र को समझने की कोशिश करते हैं। कई लोग मसान की होली को मृत्यु का उत्सव भी मानते हैं। यह परंपरा हमें जीवन की नश्वरता का स्मरण कराती है। पौराणिक कहानियों के अनुसार सबसे पहले भगवान शिव ने मसान की राख से होली खेली थी।

विवाह के बाद भगवान शिव और पार्वती पहली बार काशी आए थे। यह रंगभरी एकादशी का दिन था। इस खास दिन पर शिव और पार्वती ने गुलाल से होली खेली। चारों ओर खुशी का माहौल था। शिवगण दूर से ही इस दिव्य लीला को देखकर आनंदित हो रहे थे। यह दृश्य बेहद मनमोहक था। अगले दिन ऐसी अद्भुत घटना घटी, जो हमेशा के लिए एक परंपरा बन गई।

शिव के अनोखे भक्त, जिनमें भूत-प्रेत, यक्ष, पिशाच और अघोरी साधु शामिल थे, उन्होंने शिव से निवेदन किया कि वे भी उनके साथ होली खेलें। भगवान शिव अपने इन भक्तों की भावनाओं को समझते थे। वे जानते थे कि ये भक्त जीवन के रंगों से दूर रहते हैं। इसलिए उन्होंने उनके लिए कुछ खास सोचा। भोलेनाथ ने मसान में पड़ी राख को हवा में उड़ा दिया। इसके बाद सभी भक्त शिव के साथ मसान की राख से होली खेलने लगे। यह दृश्य अद्भुत था। पार्वती माता दूर खड़ी होकर यह सब देख रही थीं और मुस्कुरा रही थीं।

पौराणिक मान्यता है कि एक बार भगवान शिव ने यमराज को हराया था। इसलिए मसान की होली, मृत्यु पर विजय का प्रतीक भी मानी जाती है। मसान की राख वाली होली के पीछे संदेश है कि जीवन क्षणभंगुर है। हमें इससे बिना डरे, जीवन का आनंद लेना चाहिए। साथ ही याद रखना चाहिए कि मृत्यु एक सत्य है जिसे स्वीकार करना ही होगा। मसान की होली मृत्यु के भय को त्यागकर जीवन जीने का संदेश देती है।

पौराणिक मान्यता है कि यहीं से काशी में मसान की राख से होली खेलने की परंपरा की शुरुआत हुई। यह परंपरा आज भी काशी में चली आ रही है। यह अनोखी होली काशी की पहचान बन गई है। यह त्यौहार शिव और उनके भक्तों के बीच के अनोखे बंध को दर्शाता है। काशी में मसान की राख से होली खेलने की परंपरा बहुत प्राचीन है। हर साल साधु-संत और अन्य शिव भक्त मसान में चिता की राख से होली खेलते हैं।

German history is my enemy, and I want to stare into the white of its eye.

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