कॉमेडी का असली सार अब कहीं खो गया है : खुशबू कमल 

मुंबई। अभिनेत्री खुशबू कमल ने हाल ही में कॉमेडी के बदलते परिपेक्ष्य पर अपनी राय जाहिर की है। उनका मानना है कि कॉमेडी का सुनहरा दौर शायद अब खत्म हो गया है। खुशबू कमल, जो भाभी जी घर पर हैं और एफआईआर जैसे प्रसिद्ध शोज में अपनी भूमिकाओं के लिए जानी जाती हैं, का कहना है कि आजकल के सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और बनने वाले कॉमेडियन यह सोचते हैं कि केवल चौंकाने वाली बातें ही मजाक हैं। खुशबू ने उर्फी जावेद, कुशा कपिला और कॉमेडियन समय रैना का नाम लेते हुए यह आरोप लगाया कि ये लोग कॉमेडी को स्किन, अपमान और निम्न स्तर के मजाक का सर्कस बना रहे हैं। उनका कहना है कि ऐसे कॉमेडी की वजह से इस कला का स्तर गिर रहा है और असल में यह मजाक नहीं, बल्कि बुरा प्रदर्शन बनकर रह गया है।

खुशबू कमल का कहना है कि कॉमेडी का असली सार अब कहीं खो गया है। उर्फी जावेद, कुशा कपिला और समय रैना जैसे लोग कॉमेडी के नाम पर सिर्फ ध्यान खींचने का काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इन्होंने कॉमेडी को एक ऐसा मंच बना दिया है, जहां अगर मजाक काम नहीं करता, तो बैकअप प्लान कपड़े उतारने या विवादित बातें कहने का होता है।’ खुशबू का मानना है कि इस नई तरह की कॉमेडी ने असली हंसी और रचनात्मकता को खत्म कर दिया है। उनके अनुसार, अगर मजाक नहीं चल पाया, तो यह या तो पर्वनल ड्रामा बन जाता है या अश्लीलता का प्रदर्शन। यह कॉमेडी नहीं है, बल्कि खराब थिएटर है।’ उन्होंने साफ किया कि ऐसे जॉनर से वे इमोरेस्ड नहीं हैं।

खुशबू कमल ने जॉनी लीवर, डेविड धवन और ऋषिकेश मुखर्जी जैसे बड़े कलाकारों की तारीफ की, जो बिना गंदे मजाक या दिखावे के कॉमेडी में मजा और सादगी लाए। उन्होंने कहा, ‘कपिल शर्मा और भारती सिंह आज भी बिना किसी गलत चीज के हमें खूब हंसाते हैं। लेकिन ये नए ‘कॉमेडियन’? इनकी गलत हरकतों ने असली कॉमेडी को खत्म कर दिया है।’ खुशबू ने अपनी नाराजगी साफ-साफ जाहिर की।’

खुशबू कमल ने ऐसी कॉमेडी का बच्चों पर पड़ने वाले असर पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, ‘बच्चे इनसे क्या सीख रहे हैं?’ उन्होंने कहा कि ऐसे गलत व्यवहार को सही मानना खतरनाक हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘क्या हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे समझें कि कपड़े उतारना या गंदी बातें करना ही लोगों को हंसाने का तरीका है? माता-पिता को ऐसी चीजें देखकर सोचना चाहिए और शर्म महसूस करनी चाहिए।’

अपने आखिरी बयान में खुशबू कमल ने अपनी बात जोरदार तरीके से रखी। उन्होंने कहा, ‘डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अब एक बड़ा बदलाव करने की जरूरत है, वरना ये बिना टैलेंट वाले लोग बच्चों को मनोरंजन के नाम पर गलत और नुकसान पहुंचाने वाली बातें सिखाते रहेंगे। कॉमेडी अब खत्म हो चुकी है, और इन लोगों ने अपनी बेकार हरकतों से उसे दफना दिया है।’ खुशबू का यह कड़ा बयान न सिर्फ सोचने पर मजबूर करता है, बल्कि बदलती कॉमेडी की दुनिया में नई बहस की शुरुआत भी कर सकता है।

खुशबू का यह बयान इस बात को लेकर है कि कॉमेडी का उद्देश्य हमेशा से लोगों को हंसाना और सकारात्मक माहौल बनाना था, लेकिन अब यह उद्देश्य पीछे छूट गया है और उसका स्थान चौंकाने वाली और अपमानजनक सामग्री ने ले लिया है, जिसे वे सर्कस की तरह पेश किया जा रहा है। यह बयान आज के सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के प्रभाव और उनके माध्यम से लोकप्रिय हो रहे नए कॉमेडियन के कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, और यह संकेत देता है कि कॉमेडी के पारंपरिक रूप और उसके सम्मान को फिर से स्थापित करने की आवश्यकता है।

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