भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद उस समय पैदा हुआ जब मालदीव के तीन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की। भारत ने इसकी कड़ी निंदा की और विरोध दर्ज कराने के लिए मालदीव के राजदूत को तलब किया।विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आखिरकार मालदीव के साथ चल रहे राजनयिक विवाद पर चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं ले सकता कि हर कोई हर समय भारत का समर्थन ही करेगा।
मालदीव के साथ हाल में नागपुर में टाउनहॉल बैठक में पैदा हुए तनाव के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, ‘राजनीति तो राजनीति है। मैं गारंटी नहीं दे सकता कि हर देश में हर कोई हर समय हमारा समर्थन करेगा या हमसे सहमत होगा।’ उन्होंने आगे कहा, ‘हम जो करने की कोशिश कर रहे हैं, वो है देशों के साथ संपर्क को मजबूत बनाना। हम काफी हद तक सफल हुए हैं। हमने पिछले 10 सालों में कई देशों से अच्छे संबंध बनाए हैं।’
जयशंकर ने राजनीतिक संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद लोगों के बीच सकारात्मक भावनाओं को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए वैश्विक स्तर पर मजबूत संबंध बनाने के लिए पिछले एक दशक में भारत के प्रयासों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि राजनीति उतार-चढ़ाव वाली हो सकती है, लेकिन उस देश के लोगों की भारत के प्रति अच्छी भावनाएं हैं और वे अच्छे संबंध रखने के महत्व को समझते हैं। इसके अलावा, उन्होंने अन्य देशों में बुनियादी ढांचे के विकास में भारत की भागीदारी का भी उल्लेख किया।
उन्होंने कहा, ‘कभी-कभी कुछ चीजें सही रास्ते पर नहीं जाती हैं। तब आपको सबकुछ सही करने के लिए तर्क देना पड़ता है।’
भारत और मालदीव के बीच राजनयिक विवाद उस समय पैदा हुआ जब मालदीव के तीन नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते हुए उनकी हालिया लक्षद्वीप यात्रा की आलोचना की। भारत ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा की और विरोध दर्ज कराने के लिए मालदीव के राजदूत को तलब किया। देश के पीएम के बारे में गलत टिप्पणी से भारतीय लोगों में गुस्सा भड़क गया। लोगों ने बॉयकॉट मालदीव नाम से एक अभियान शुरू कर दिया। बढ़ते विवाद को देखते हुए मालदीव सरकार ने अपनी तीनों मंत्रियों को निलंबित कर दिया।