
नई दिल्ली। आज का दिन यानी 21 मार्च एक बड़ी ऐतिहासिक घटना का गवाह है। 21 मार्च 1977 को भारत को इमरजेंसी से मुक्ति मिली थी। इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में लगी इमरजेंसी को खत्म करने का ऐलान किया था। इमरजेंसी 25 जून 1975 को लगी थी और यह 21 महीने तक चली। इंदिरा गांधी ने अनुच्छेद 352 के तहत इमरजेंसी लगाई थी। इमरजेंसी के दौरान लोगों के अधिकार छीन लिए गए, नेताओं को जेल में डाल दिया गया और जबरन नसबंदी जैसे काम हुए। 1977 में चुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस हार गई और जनता पार्टी की सरकार बनी। इसके बाद इमरजेंसी को हटा लिया गया।
25 जून 1975 को इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाने का फैसला किया। उस समय इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध ठहराया था। इससे उनकी कुर्सी खतरे में आ गई थी। इसके बाद देश में कई जगह विरोध प्रदर्शन होने लगे। सरकार ने इन प्रदर्शनों को रोकने के लिए इमरजेंसी लगा दी।
इमरजेंसी के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। इसके बाद 18 जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी ने चुनाव कराने का ऐलान किया। मार्च 1977 में चुनाव हुए। कांग्रेस पार्टी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। जनता पार्टी को सबसे ज्यादा वोट मिले और मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी को आधिकारिक रूप से हटा दिया गया।
इमरजेंसी खत्म होने के बाद देश में फिर से लोकतंत्र बहाल हुआ। मीडिया पर जो पाबंदियां लगी थीं, उन्हें हटा दिया गया। राजनेताओं को जेल से रिहा कर दिया गया। नई सरकार ने संविधान में 44वां संशोधन किया गया। इससे इमरजेंसी लगाने के नियमों को और सख्त बनाया गया, ताकि भविष्य में कोई भी सरकार आसानी से इमरजेंसी न लगा सके। इमरजेंसी की वजह से कांग्रेस पार्टी की लोकप्रियता बहुत कम हो गई। लोगों में कांग्रेस के खिलाफ गुस्सा था।
आज के दिन 21 मार्च 1977 को इमरजेंसी का अंत हुआ। इससे भारतीय लोकतंत्र को एक नई दिशा मिली। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करना आसान नहीं है। जनता की ताकत हमेशा सबसे ऊपर होती है। इमरजेंसी के दौरान जो कुछ भी हुआ, वह भारतीय इतिहास का एक काला अध्याय है। लेकिन, इसने हमें यह भी सिखाया कि हमें अपने अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए और लोकतंत्र को मजबूत रखना चाहिए।
One way to do this would be to create an initializer that instantiates the Wit class and stores it in a global variable. Ya Allah, bless, grant peace to and sanctify our master Muhammad Sollallahu Alaihi Wasallam, the Unlettered not thought to read and write by any human being Prophet, and also his wives, the Mother of the Believers, his descendants and the People of his House, such blessings and peace ROMANISED ARABIC Yuhso adadu humaa walaa yuqtau mada-duhuma O Allahumma solli alaa sayyidinaa Muhammad-in adada maaa ahata bihii ilmuka wa-ahsau kitabuka solatan taqunu laka ridhanw-walihaqqihiii adaaa-aw-waatihil wasiilata walfadhilata wad-darajatal rafiata wab-ath-hulla hummal maqamal-mahmudal-lazi waadtahu wajzihii anna ma huwa ahluhu wa alaa jamii-'iikhwanihi minan-nabiyiina was-siddiqiina wash-shuhadaaa-i wassolihin O Allahumma solli alaa sayyidinaa Muhammad-inw waanzilhul-manzilal mukarraba yaumal-kiyaamah O Allahumma solli alaa sayyidinaa.