
नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले और फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद जहां भारतीय सेना लाइन ऑफ कंट्रोल पर पूरी मुस्तैदी और सैन्य साजोसामान के साथ डटी है वहीं ईस्टर्न लद्दाख में लॉइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर भी सेना की तैनाती पहले की तरह जारी है। सूत्रों के मुताबिक यहां से सैनिकों की तैनाती में कोई कमी नहीं की गई है। LAC पर हर वक्त कड़ी निगरानी रखी जा रही है।
सेना सूत्रों के मुताबिक ईस्टर्न लद्दाख में LAC पर निगरानी दो तरीकों से की जा रही है। पारंपरिक पैटर्न के अनुसार एलएसी पर नियमित गश्त (पेट्रोलिंग) के जरिए और फॉरवर्ड एरिया की निगरानी एरियल और दूसरे तकनीकी माध्यमों से भी की जा रही है। हाल ही में कैपेबिलिटी डिवेलपमेंट के लिए अलग-अलग तरह के टोही और मॉनिटरिंग उपकरणों पर जोर रहा है और इसमें मानव रहित हवाई प्रणालियां भी शामिल हैं।
सेना सूत्रों ने कहा कि ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी पर 2020 की घटनाओं के बाद भारतीय सेना एक इंटिग्रेटेड इंटेलिजेंस और सर्विलांस ग्रिड बनाए हुए है। निगरानी क्षमता को नई पीढ़ी के उपकरणों की तैनाती कर और मजबूत किया गया है। ऐसे उपकरणों की तैनाती की गई है जो अधिक व्यापक और निरंतर निगरानी सुनिश्चित कर सकें।
निगरानी और टोही क्षमता बढ़ाने के लिए अडवांस्ड यूएएस (अनमैन्ड एरियल सिस्टम) जैसे मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (MALE) और मिनी रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (RPAS), सर्विलांस कॉप्टर्स, आरपीएवी (RPAV) खरीदे गए हैं। साथ ही निगरानी ग्रिड में नैनो ड्रोन और स्वार्म ड्रोन को भी शामिल किया गया है। सूत्रों के मुताबिक पूरे नॉर्दन बॉर्डर पर 24 घंटे निगरानी के लिए कई तरीकों से निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी हिस्से पर नजर रखने में कोई कमी न रहे।
इसके साथ ही ईस्टर्न लद्दाख में संचार प्रणाली (कम्युनिकेशन सिस्टम) को भी बेहतर बनाया गया है। ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाई जा रही हैं और सैटलाइट बेस्ड कम्युनिकेशन रिसोर्स जोड़े जा रहे हैं। चार साल में नॉर्दन बॉर्डर पर मोबाइल नेटवर्क में भी काफी सुधार हुआ है।
साथ ही पूर्वी लद्दाख में रोड इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए बीआरओ और अन्य एजेंसियां मिलकर काम कर रही हैं। अग्रिम इलाकों तक संपर्क स्थापित करने और लेह से आधारभूत संपर्क को मजबूत करने का काम प्रगति पर है। अग्रिम क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़कों (फॉरवर्ड लेटरल्स) का भी विकास किया जा रहा है। अटल टनल और ज़ेड मोड़ टनल का निर्माण पूरा हो चुका है। ऑल वेदर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिए शिंकुन ला और ज़ोजिला टनल का निर्माण काम जारी है। बीआरओ की योजना के तहत लगभग 2330 किलोमीटर सड़कों के विकास की योजना बनाई गई है।