
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला लेते हुए अपने 2018 के एशियल रिसरफेसिंग निर्णय को पलट दिया। इसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट की ओर से नागरिक व आपराधिक मामलों में सुनवाई पर रोक लगाने वाले अंतरिम आदेश जारी होने की तारीख से 6 महीने के बाद अपने आप समाप्त कर दिए जाएंगे, अगर उन्हें स्पष्ट रूप से हाईकोर्ट की ओर से नहीं बढ़ाया जाता।
अब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अभय एस ओका, जेपी परदीवाला, पंकज मित्तल और मनोज मिश्रा की पीठ ने इस फैसले को बदल दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि छह महीने के बाद ट्रायल कोर्ट या हाईकोर्ट की ओर से दी गई स्टे अपने आप समाप्त नहीं हो सकती है। फैसला पढ़ने वाले जस्टिस ओका ने कहा कि पीठ एशियर रिसरफोसिंग मामले में निर्देशों से सहमत नहीं है। संवैधानिक अदालतों को मामले निपटाने के लिए टाइमलाइन तय करने से बचना चाहिए। हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि अपवाद वाली स्थिति में ऐसा किया जा सकता है।
बता दें कि पिछले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सभी दीवानी और आपराधिक मामलों में कार्रवाई पर स्टे का आदेश छह महीने की समय सीमा समाप्त होने पर अपने आप समाप्त हो जाएगा, यदि इसे फिर से बढ़ाया नहीं जाता है। यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट ने एशियन रिसरफेसिंग ऑफ रोड एसेंजी पी लिमिटेड के निदेशक बनाम सीबीआई मामले में सुनाया था। हालांकि, बाद में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि अगर उसकी ओर से स्थगन का आदेश पारित किया गया है तो निर्णय लागू नहीं होता है।