नई दिल्ली. भारतीय सेना खराब जीवन शैली के चलते ‘अधिकारियों के बीच घटते शारीरिक मानकों’ को देखते हुए एक नई फिटनेस नीति लेकर आई है. इस नई नीति के तहत सैन्य अधिकारियों को नए टेस्ट से गुजरना होगा. इसमें नए मानकों पर खरा नहीं उतरने वाले आर्मी ऑफिसर्स को सुधार के लिए पहले 30 दिनों का वक्त दिया जाएगा और अगर इस दौरान उनकी फिजिकल फिटनेस में कोई सुधार नहीं हुआ तो उनकी छुट्टियों में कटौती जैसे कदम उठाए जा सकते हैं.
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, नए नियमों के तहत हर सैन्य अधिकारी को आर्मी फिजिकल फिटनेस असेसमेंट (APAC) कार्ड भी तैयार रखना होगा. इन नए बदलावों के अनुसार, हर तीन महीने पर होने वाले इन टेस्ट पर कमांडिंग ऑफिसर के बजाय ब्रिगेडियर रैंक का एक अधिकारी नजर रखेगा.
इस नई नीति का मकसद परीक्षण प्रक्रिया में समानता लाना और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बढ़ते खतरे के बीच सैन्य अधिकारियों के मोटापे या शारीरिक रूप से अयोग्यता से जुड़े मसलों से निपटना है.
मौजूदा नियमों के अनुसार, हर तीन महीने में बैटल फिजिकल एफिशिएंसी टेस्ट (BPET) और फिजिकल प्रोफिशिएंसी टेस्ट (PPT) होता है. बीपीईटी के तहत एक शख्स को 5 किलोमीटर की दौड़, 60 मीटर की तेज दौड़, रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ना और तय समय में 9 फीट के गड्ढे को पार करना होता है. इन सारे टेस्ट में समय सैन्य कर्मियों की उम्र के हिसाब से तय किया जाता है.