
नई दिल्ली। हेल्दी रहने के लिए अच्छे खानपान के साथ-साथ अच्छी नींद भी बेहद जरूरी है। जिस तरह हमारे खानपान का हमारी सेहत पर सीधा असर पड़ता है, ठीक उसी तरह हमारी नींद भी सेहत को सीधा प्रभावित करती है। इसलिए लोगों को नींद का महत्व समझाने के मकसद से हर साल वर्ल्ड स्लीप डे मनाया जाता है। यह दिन नींद के महत्व, सेहत पर इसके प्रभाव और नींद से जुड़ी अच्छी आदतों को बढ़ाने के मकसद से मनाया जाता है।
इस मौके पर आज हम जानेंगे स्लीप डिसऑर्डर और इसके कारण के बारे में। साथ ही यह भी जानेंगे कि इससे कैसे बचा सकता है और अच्छी नींद के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
स्लीप डिसऑर्डर यानी नींद संबंधी विकार, ऐसी स्थिति हैं जो रात में आपकी नींद की गुणवत्ता, मात्रा और समय को प्रभावित करती हैं। सामान्य नींद संबंधी विकारों में अनिद्रा, रेस्टलेस लेग सिंड्रोम, नार्कोलेप्सी और स्लीप एपनिया शामिल हैं। इन डिसऑर्डर आपके मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता है।
नींद से जुड़ी विकार 80 से ज्यादा तरह के होते हैं। इनमें सबसे आम में निम्न शामिल हैं:
क्रोनिक इनसोम्निया: आपको कम से कम तीन महीने तक ज्यादातर रातों में सोने या सोते रहने में परेशानी होती है, तो यह क्रोनिक इनसोम्निया हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप आप थका हुआ या चिड़चिड़ा महसूस करते हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया: आप खर्राटे लेते हैं और नींद के दौरान, जब आप सांस लेना बंद कर देते हैं, तो यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया हो सकता है। इससे आपकी नींद में खलल पड़ता है।
रेस्टलेस लेग सिंड्रोम: इस डिसऑर्डर से पीड़ित लोग जब आप आराम करते हैं, तो उन्हें अपने पैर हिलाने की इच्छा होती है। नार्कोलेप्सी: इस डिसऑर्डर में आप यह कंट्रोल नहीं कर पाते कि आपको कब सोना है या आप कितनी देर तक जागते हैं। शिफ्ट वर्क स्लीप डिसऑर्डर: इसमें आपको सोने और सोते रहने में परेशानी होती है और अपने काम के शेड्यूल के कारण आपको अनचाहे समय पर नींद आती है।
डिलेड स्लीप पेज सिंड्रोम: आप अपने वांछित सोने के समय से कम से कम दो घंटे बाद सो जाते हैं और स्कूल या काम के लिए समय पर जागने में कठिनाई होती है। सोने में कठिनाई होना या नियमित रूप से सोने में 30 मिनट से ज्यादा समय लगना।
रात भर सोते रहने में परेशानी होना या आप अक्सर रात के बीच में जाग जाना और फिर सो नहीं पाना। नींद के दौरान खर्राटे लेना, हांफना या घुटन महसूस होना।
जब आप आराम करते हैं, तो ऐसा महसूस होना कि आपको हिलने-डुलने की जरूरत है। हिलने-डुलने से यह भावना दूर होती है। जब आप जागते हैं तो ऐसा महसूस होना कि आप हिल नहीं सकते।
हार्ट डिजीज, अस्थमा, दर्द या नर्व संबंधी कंडीशन। डिप्रेशन या एंग्जायटी डिसऑर्डर जैसी कोई समस्या। जेनेटिक फैक्टर्स। किसी दवा का साइड इफेक्ट। नाइट शिफ्ट में काम करना। सोने से पहले कैफीन या अल्कोहल पीना। ब्रेन में कुछ केमिकल या मिनरल का लो लेवल।
स्लीप डिसऑर्डर के बारे में सीएमआरआई कोलकाता में पल्मोनोलॉजी विभाग के प्रमुख और निदेशक, दुनिया भर में, नींद से जुड़े डिसऑर्डर 10% से ज्यादा आबादी को प्रभावित करते हैं। इसका मतलब है कि अकेले भारत में 200 मिलियन से ज्याद लोग इससे पीड़ित हैं। शोध से पता चलता है कि लगभग 50 मिलियन भारतीय स्लीप एपनिया और अनिद्रा जैसी स्थितियों से पीड़ित हैं। हालांकि, ज्यादातर लोगों का निदान नहीं हो पाया है।
जागरूकता की कमी की वजह से गंभीर परिणाम भुगनते पड़ सकते हैं, जिसमें हार्ट डिसऑर्डर, मेटाबॉलिज्म डिसऑर्डर, खराब कॉग्नेटिव फंक्शन शामिल हैं। भारत में नींद से संबंधित समस्याएं खतरनाक स्तर पर बढ़ रही हैं, जिसके लिए शुरुआती जांच, जीवनशैली में बदलाव और मेडिकल हेल्प जरूरी हो गया है।
डॉक्टर ने आगे बताया कि गुणवत्तापूर्ण नींद और स्वास्थ्य के महत्व पर ज्यादा जोर देना चाहिए। अगर आप या आपके आस-पास कोई व्यक्ति जोर से खर्राटे लेता है और दिन में बहुत ज्यादा थकान महसूस करता है या रात में घुटन के एहसास के साथ जागता है, तो मेडिकल हेल्प लेने से सब कुछ बदल सकता है।