
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सोलर प्लांट लगाने को लेकर इन्वेस्ट यूपी में रिश्वत मांगने के मामले में एसआईटी ने सोमवार को 1600 पन्नों की विस्तृत चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी। इस मामले की शुरुआत उस वक्त हुई जब शिकायतकर्ता विश्वजीत दत्ता ने आरोप लगाया कि उनसे परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए 5 फीसदी कमीशन मांगा गया। अब इसमें पूर्व सीईओ का नाम शामिल किए जाने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़नी तय हैं। इस मामले में इन्वेस्ट यूपी के पूर्व सीईओ अभिषेक प्रकाश पहले ही सस्पेंड किए जा चुके हैं।
एसआईटी की ओर से दाखिल चार्जशीट में विश्वजीत ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि तत्कालीन सीईओ अभिषेक प्रकाश के कहने पर निकांत जैन ने उनसे यह रिश्वत मांगी थी। उन्होंने यह भी कहा कि अभिषेक का नाम निकांत बार-बार लेता था, जिससे यह साबित होता है कि पूरा मामला योजनाबद्ध तरीके से किया गया।
दरअसल, 20 मार्च को गोमतीनगर थाने में निकांत जैन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। साथ ही अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया था।
एसआईटी की ओर से तैयार की गई चार्जशीट में 50 से अधिक गवाहों के बयान शामिल हैं। इसमें इन्वेस्ट यूपी के कर्मचारी, शिकायतकर्ता और अन्य महत्वपूर्ण गवाह शामिल हैं। निकांत जैन से चार दिन पहले जेल में पूछताछ भी की गई, जिसमें कुछ नए तथ्य सामने आए हैं जिनकी अभी जांच की जा रही है।
एसआईटी के मुताबिक, अगर पीड़ित के बयान और अन्य साक्ष्य से आरोपों की पुष्टि होती है, तो एफआईआर में अन्य नाम भी जोड़े जाएंगे। इस मामले की जांच में शामिल अफसरों में एएसपी विकास चंद्र त्रिपाठी, एसीपी विनय कुमार द्विवेदी और इंस्पेक्टर आलोक राय शामिल हैं।
कोर्ट ने पहले भी गोमतीनगर पुलिस से सख्त सवाल पूछे थे कि अधिकारी का नाम क्यों नहीं जोड़ा गया, जबकि रिश्वत अफसर के कहने पर मांगी गई थी। इस पर पुलिस ने कहा था कि जांच जारी है और दोषी पाए जाने पर नाम शामिल किया जाएगा। सोमवार को चार्जशीट दाखिल होने के बाद, बचाव पक्ष के वकील ने भी कुछ सवाल उठाए, जिनका जवाब देने के लिए कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा है। आने वाले दिनों में इस मामले में कई और खुलासे हो सकते हैं।