
बेंगलुरु । कर्नाटक में कंठराज आयोग द्वारा 2015 में किए गए सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण (जाति जनगणना) को रद्द करने के एक महीने से भी कुछ ज्यादा समय बाद वहां की कांग्रेस सरकार ने दशहरा की छुट्टियों के दौरान 22 सितंबर से 7 अक्टूबर तक 15 दिनों के लिए एक नया सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण यानी कास्ट सर्वे कराने का फैसला किया है। बड़ी बात ये है कि ये सर्वे ऐसे वक्त में प्लान्ड किए गए हैं, जब बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज होंगी और सियासत अपने चरम पर होगा।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस बावत बुधवार (23 जुलाई) को एक टॉप लेवल मीटिंग की, जिसमें उन्होंने मधुसूदन आर. नाइक की अध्यक्षता वाले राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को अक्टूबर के अंत तक जाति सर्वे का रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। बैठक में सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य में हरेक व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का व्यापक सर्वेक्षण होना चाहिए, चाहे उसके पास जमीन हो या न हो, इत्यादि। उन्होंने कहा कि यही सर्वेक्षण रिपोर्ट अगले बजट का आधार होगी।
पिछले कंठराज आयोग ने अपने सर्वेक्षण में 54 प्रश्नों वाली एक प्रश्नावली का इस्तेमाल किया था। इस बार आयोग इसमें और पहलुओं को शामिल करने की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “सर्वेक्षण वैज्ञानिक और पारदर्शी होना चाहिए और प्रश्नों को विशेषज्ञ समिति से परामर्श के बाद अंतिम रूप दिया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, “इस जाति सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य जाति और वर्ग के भेदभाव को समाप्त करना और समावेशी विकास सुनिश्चित करना है। हम चाहते हैं कि यह देश के लिए एक आदर्श बने।” साफ है कि कांग्रेस सरकार इस सर्वे के जरिए बिहार चुनाव से पहले व्यापक संदेश देना चाहती है