
शनि ग्रह के दोष और अशुभ स्थिति की वजह से जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। शनि के अशुभ प्रभाव की वजह से व्यापार में परेशानी, अनचाही जगह स्थानांतरण, प्रमोशन में बाधा, नौकरी में समस्याएं, कर्ज आदि के बोझ जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही है तो और विशेष सावधानी बरतनी पड़ती है, लेकिन ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह को शांत करने के आसान और सस्ते उपाय बताए गए हैं। इनकी मदद से शनि ग्रह को प्रसन्न किया जा सकता है। माना जाता है कि शनिवार के दिन व्रत रखने, हनुमान जी की पूजा करने, शनि स्तोत्र का पाठ करने, छायादान करने से शनि के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं। इससे शनि ग्रह आपको शुभ परिणाम देंगे। साथ ही शनि ग्रह कर्मों के आधार पर परिणाम देते हैं इसलिए आप नैतिक और न्यायोचित कार्य करें, इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं। आइये जानते हैं कुंडली में शनि ग्रह को शांत करने के लिए शनिवार के उपाय।
शनि ग्रह को शांत करने का आसान ज्योतिषीय उपाय छायादान है। अगर आप नहीं जानते हैं कि छायादान क्या होता है तो छायादान का मतलब है तेल से भरे बर्तन में अपनी छाया देखकर उसे दान करना। वैसे तो छायादान आप किसी भी दिन कर सकते हैं, लेकिन शनिवार के दिन किया गया छायादान सबसे कारगर माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि शनि देव छायादान करने से प्रसन्न होते हैं। हालांकि छायादान करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। मसलन छायादान गुप्त तरीके से किया जाता है। इस बारे में किसी को बताया नहीं जाता है। छायादान करते समय आपका मन पवित्र होना चाहिए और विनम्रता का भाव अंदर से आना चाहिए।
छायादान को लेकर ज्योतिष शास्त्र में बताया गया है कि यह सिर्फ एक उपाय या टोटका भर नहीं है बल्कि इससे हमारे कर्मों में सुधार होता है और नकारात्मकता दूर होती है। इसलिए पवित्र मन और सच्ची श्रद्धा के साथ ही छायादान किया जाना चाहिए। ज्योतिष में छायादान की विधि भी बताई गई है। शनिवार को सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनें। इसके बाद लोहे के बर्तन में सरसों का तेल भर दें। इस तेल में अपना चेहरा देखें। इस प्रक्रिया को छाया दर्शन कहा जाता है। इसके बाद बर्तन में भरे तेल को शनि मंदिर या किसी जरूरतमंद को दान कर दें। दान के समय शनिदेव का ध्यान करें और अपने कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
अगर आपकी कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति है तो आपको शनिवार के दिन से पीपल के उपाय शुरू करने चाहिए। आप अपने घर के आसपास किसी पीपल के पेड़ की जड़ में गुड़ और काले तिल मिलाकर जल चढ़ाएं। आपको लगातार 40 दिनों तक यह उपाय करना होगा और पीपल की जड़ में जल अर्पित करते समय शनिदेव को याद करें। इससे शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों से बचा जा सकता है। इसके अलावा रोजाना सूर्य को जल अर्पित करें। अगर सूर्य को जल नहीं चढ़ा पा रहे हैं तो शाम को पीपल के पेड़ के नीचे काली बाती से दीया जलाएं। इस दौरान शनि देव का ध्यान करें। इससे आपके कष्ट दूर होंगे।
शनि देव 29 मार्च को कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करेंगे। शनि के राशि परिवर्तन का विभिन्न राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। जहां मकर राशि में साढ़ेसाती समाप्त हो जाएगी तो वहीं मेष में यह शुरू हो जाएगी। इसी तरह वृश्चिक राशि के जातकों की ढैय्या खत्म हो जाएगी और धनु की शुरू हो जाएगी। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि शनि देव का स्वागत करना चाहिए और अपने कर्मों में सुधार करते हुए ग्रह शांति के उपाय करने चाहिए। ऐसे में अभी से शनि देव की कुदृष्टि से बचने और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए शनिवार को 11 बार शनि स्तोत्र का पाठ करें। अगर आप यह नहीं कर पा रहे हैं तो रोजाना शनि स्तोत्र का पाठ करें।