बुमराह की गैरमौजूदगी में शमी होंगे बड़े हथियार

बेंगलुरु। चैंपियंस ट्रॉफी में भारत सबसे बड़ा दावेदार है, लेकिन जसप्रीत बुमराह के चोटिल होने से उसका गेम कुछ बिगड़ता दिख रहा है। हालांकि, मोहम्मद शमी के दाहिने हाथ में जादूगर सा फन है और अपनी कलाई के झटके से वह दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों को चकमा दे सकते हैं लेकिन क्या वह इस जादू से भारत को बारह साल बाद आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में मदद कर सकते हैं? प्रशंसकों को उम्मीद है कि शमी इस टूर्नामेंट में भारत को जसप्रीत बुमराह की कमी महसूस नहीं होने देंगे। बुमराह चोट के कारण टीम से बाहर हैं। वैसे शमी की तैयारियों को लेकर काफी चिंतायें भी हैं।

भारतीय टीम को दुबई में बांग्लादेश के खिलाफ 20 फरवरी को पहला मैच खेलना है। चौतीस वर्ष के शमी चोट से उबरने के बाद वापसी कर रहे हैं। उन्होंने विभिन्न स्तरों और अलग अलग प्रारूप में कुछ मैच खेले हैं लेकिन बड़े टूर्नामेंट में अपेक्षाओं पर खरे उतरने का दबाव अलग होता है। ऐसे में बुमराह की गैर मौजूदगी में उन पर दबाव और बढ जायेगा। चैंपियंस ट्रॉफी में शमी के साझेदार अर्शदीप सिंह होंगे लेकिन वह बुमराह की श्रेणी के गेंदबाज नहीं हैं। भारत के पूर्व तेज गेंदबाज लक्ष्मीपति बालाजी का मानना है कि शमी के पास काफी अनुभव है और वह इस चुनौती का सामना कर लेंगे।

बालाजी ने कहा, ‘उसने 2019 वनडे विश्व कप और पिछले विश्व कप (2023) में बुमराह से बेहतर गेंदबाजी की थी। बुमराह विभिन्न प्रारूपों में चैंपियन गेंदबाज है लेकिन शमी के पास अनुभव है और बुमराह के आने से पहले भारत के आक्रमण की जिम्मेदारी उसी पर थी।’ उन्होंने कहा, ‘अगर भारत को अच्छा प्रदर्शन करना है तो शमी को नयी गेंद से कमाल करना होगा। पहले छह ओवर में नयी गेंद से प्रदर्शन भारत के लिये काफी मायने रखेगा। अगर वह शुरुआती कामयाबी दिला सका तो भारत का मनोबल काफी बढ़ेगा।’

शमी की जिम्मेदारी विकेट लेना ही नहीं बल्कि अर्शदीप और हर्षित राणा जैसे गेंदबाजों का मागदर्शन करने की भी होगी। बालाजी ने कहा, ‘शमी इस समय गेंदबाजों का अगुआ है। वह लंबे समय से रहा है और पिछले 12 साल में टेस्ट क्रिकेट में खास तौर पर उसका प्रदर्शन शानदार रहा है। अब दूसरे गेंदबाजों के मार्गदर्शक के तौर पर वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है।’

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