
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने हाल के वर्षों में अपनी रणनीति में बदलाव किया है। शुरुआत में पार्टी ने मुंबई के श्रमिक वर्ग के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, लेकिन अब वह मस्जिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल जैसे विवादास्पद मुद्दों पर भी अभियान चला रही है।
मनसे पदाधिकारी नितिन सरदेसाई ने कहा कि हमने योग्यता के आधार पर उम्मीदवारों का चयन किया है और उन सीटों पर लड़ रहे हैं जहां हमारी ताकत है। कोई पैटर्न नहीं है। हमने इस पर विचार नहीं किया है कि प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार कौन है, अगर वह शिवसेना, भाजपा या कांग्रेस या राकांपा से है।
मनसे इस बार मुंबई विधानसभा चुनाव में 36 में से 25 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। यह अक्टूबर 2019 के बाद से पार्टी का पहला चुनाव है। पिछले दो दशकों में मनसे की सीटों में गिरावट देखी गई है, 2009 में पार्टी ने 13 सीटें जीतीं, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में केवल एक सीट पर सिमट गई।
इस चुनाव को मनसे अपने आधार को फिर से बनाने और आगामी बीएमसी चुनावों की तैयारी के रूप में देख रही है। पार्टी कई सीटों पर महायुति गठबंधन, जिसमें भाजपा और शिवसेना शामिल हैं, के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही है। मनसे को उम्मीद है कि इस बार की चुनावी लड़ाई में सफलता हासिल कर वह अपनी खोई हुई जमीन को वापस पा सकेगी।