
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करने के लिए तैयार है कि क्या एक तलाकशुदा पुरुष को सरोगेसी के माध्यम से संतान प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए। एक 45 वर्षीय तलाकशुदा अविवाहित पुरुष द्वारा दायर रिट याचिका में सरोगेसी (रेगुलेशन) अधिनियम, 2021 की धारा 2(1)(s) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले पर विचार करने की बात कहते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
पहले से सरोगेसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी पेंडिंग है। जिसमें कई मुद्दों को चुनौती दी गई है। इसमें यह नई याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में जुलाई में सुनवाई का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 19 अगस्त को सरोगेसी (रेगुलेशन) ऐक्ट 2021 के प्रावधानों को चुनौती वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कुछ सवाल तय किए गए थे, जिनका परीक्षण सुप्रीम कोर्ट करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जो सवाल तय किए थे उनमें पहला सवाल यह है कि क्या कमर्शल सरोगेसी को कानून में जो प्रतिबंधित किया गया है वह संवैधानिक है? दूसरा सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने परीक्षण के लिए यह है कि क्या शादीशुदा कपल जिनमें महिला की उम्र 23 से 50 साल हो और पुरुष की उम्र 26 से 55 साल की हो, क्या वही सरेगेसी के हकदार हैं और क्या यह प्रावधान संवैधानिक है? तीसरा सवाल है कि वह सिंगल महिला जो 35 से 45 साल के बीच हो और तलाकशुदा या विधवा हो, वही सरोगेसी के लिए जा सकती है? सिंगल महिला के मामले में जो शर्त रखी गई है क्या वह संवैधानिक है? चौथा सवाल यह है कि जिन कपल के पास बच्चे नहीं हैं या बच्चे नहीं बचे, वही सरोगेसी के लिए जा सकते हैं क्या यह प्रावधान संवैधानिक है? अगला सवाल यह है कि सरोगेसी ऐक्ट 2021 के लागू होने से पहले जिनका सरोगेसी प्रोसेस शुरू हो गया था क्या उन पर भी प्रावधान लागू होगा?
इन तमाम सवालों का सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करने वाली है। इसी बीच अब यह नई याचिका दायर की गई है जिसमें तलाकशुदा शख्स ने ऐक्ट के कुछ प्रावधानों को चुनौती दी है और कहा है कि यह समानता और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है और पुरुषों के साथ यह भेदभाव वाला है। भारत सरकार ने 25 जनवरी 2022 को सरोगेसी (रेगुलेशन) ऐक्ट 2021 को नोटिफाई कर दिया था। इस मामले में बनाए गए कानून की मूल मंशा यही है कि भारत में कमर्शल सरोगेसी को रोका जा सके। भारत में पहले कमर्शल सरोगेसी की इजाजत थी लेकिन सरकार ने सरोगेसी रेगुलेशन ऐक्ट बनाया है जिसमें कमर्शल सरोगेसी पर रोक लगा दी गई है और परोपकार के लिए सरोगेसी की इजाजत दे दी गई है। लेकिन मौजूदा कानून के कई प्रावधानों पर सवाल उठाए गए हैं और समय समय पर ऐसी अर्जियां दाखिल हो रही हैं और अब उस पर सुनवाई जुलाई में होगी तो सुप्रीम नजरिया सामने आएगा।
The light came from either an illuminator mounted around the target, or in more professional cameras from a light source on the base of the tube and guided to the target by light piping. This metaphor is applied to a chief who boldly defends his tribe against the slander or actions of others.