देश में धर्मांतरण के बढ़ते मामलों के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि धर्मांतरण नहीं रुका तो बहुसंख्यक भी अल्पसंख्यक हो जाएंगे। न्यायमूर्ति रोहित रंजन ने यह टिप्पणी करते हुए कहा है कि देश में बड़े स्तर पर एससी/एसटी और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का धर्मांतरण कराया जा रहा है जिसे तत्काल रोके जाने की जरूरत है। उन्होंने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि धार्मिक सभाओं में पैसों का लालच देकर अगर धर्मांतरण कराया जाता रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी। अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 25 में धर्मांतरण का प्रावधान नहीं है इसलिए नागरिकों का धर्मांतरण कराने के लिए आयोजित की जाने वाली सभाओं पर रोक लगानी चाहिए।
हम आपको बता दें कि न्यायमूर्ति रोहित रंजन ने धर्मांतरण के एक मामले में आरोपी कैलाश की जमानत याचिका को खारिज करते हुए ये टिप्पणियां की हैं। अदालत ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 व्यक्ति को धार्मिक स्वतंत्रता, कोई भी पूजा पद्धति अपनाने व अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार देता है लेकिन किसी को धर्मांतरण की इजाजत नहीं देता। अदालत ने कहा कि ऐसी जानकारी मिली है कि उत्तर प्रदेश में धार्मिक आयोजनों के जरिए गरीब और भोले भाले लोगों का धर्मांतरण कर ईसाई बनाया जा रहा है। अदालत ने कहा कि यह काफी गंभीर मामला है।
दूसरी ओर, अदालत के इस आदेश के बाद देश में धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता और भारत के पीआईएल मैन के रूप में विख्यात अश्विनी उपाध्याय ने कहा है कि मोदी सरकार को इस मुद्दे पर तत्काल ध्यान देना चाहिए। उधर, संत समाज ने भी इस मुद्दे को चिंताजनक बताते हुए सरकार से इस समस्या का शीघ्र हल निकालने की मांग की है।