एससी ने कानपुर पुलिस पर लगाया जुर्माना

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक गोदाम की बिक्री का मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में कहा कि दीवानी विवादों में पुलिस द्वारा आपराधिक मामला दर्ज करना गलत है। वह भी तब जब इसी मामले में दो याचिकाओं को जिला अदालत पहले ही खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जवाबदेह पुलिस अफसरों पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और यूपी सरकार को निर्देश दिया कि इन अफसरों से जुर्माना वसूला जाए। जुर्माना माफी की अपील भी कोर्ट ने खारिज कर दी।

दरअसल कानपुर में रिखब बिरानी और शिल्पी गुप्ता के बीच गोदाम बेचने का एक समझौता हुआ था। इस समझौते में कुछ विवाद होने के बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा। बिरानी ने शिल्पी गुप्ता को अपना गोदाम 1 करोड़ 35 लाख रुपये में बेचने की बात कही थी। शिल्पी गुप्ता ने सिर्फ 19 लाख रुपये दिए थे। लेकिन तय समय पर 25 प्रतिशत अग्रिम राशि भी नहीं दी गई। इसके बाद रिखब बिरानी ने गोदाम किसी और को 90 लाख रुपये में बेच दिया। शिल्पी गुप्ता के 19 लाख रुपये भी वापस नहीं किए।

इस मामले में शिल्पी गुप्ता ने कोर्ट में एफआईआर दर्ज करने की दो अपील की। स्थानीय अदालत ने इस अपील पर कहा कि यह दीवानी विवाद है, इसलिए आपराधिक जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता। लेकिन, इसके बाद कानपुर पुलिस ने बिरानी परिवार के खिलाफ धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी का मुकदमा दर्ज कर लिया।

बिरानी परिवार ने इस एफआईआर को खारिज करने के लिए हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने एफआईआर रद्द करने से मना कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि मुकदमे का सामना करें। इसके बाद बिरानी परिवार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। बेंच ने दीवानी विवाद में आपराधिक मुकदमा दर्ज करने पर सख्त नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि दीवानी विवादों में आपराधिक मामला दर्ज करना गलत है। कोर्ट ने यूपी पुलिस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और कहा कि यह जुर्माना पुलिस अधिकारियों से वसूला जाए।

मुख्य न्यायाधीश ने इस बात पर हैरानी जताईकि स्थानीय मजिस्ट्रेट अदालत ने शिल्पी गुप्ता की दो याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इन याचिकाओं में बिरानी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की बात कही गई थी। इस तथ्य के बावजूद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। कोर्ट ने कहा कि दीवानी मामलों को आपराधिक मामलों की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। कोर्ट ने पुलिस को भी ऐसे मामलों में सावधानी बरतने की सलाह दी। कोर्ट ने कहा कि दीवानी विवादों में आपराधिक मामला दर्ज करना अस्वीकार्य है।

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