वेब शो सिटाडेल में अपने अभिनय के लिए प्रशंसा बटोर रहीं सामंथा रूथ प्रभु ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी और तीन साल पहले नागा चैतन्य से तलाक के बाद उन्हें जिस तरह की ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा, उसके बारे में खुलकर बात की। तलाक का अनुभव न केवल भावनात्मक और मानसिक रूप से कठिन होता है, बल्कि सामाजिक दबाव भी उस पर भारी पड़ता है। परिवारों और समाजों से महिलाओं को अक्सर यह उम्मीद होती है कि वे शादी में बने रहें, भले ही उनके लिए वह रिश्ता न खुशहाल हो। जब वे तलाक लेती हैं, तो उन पर यह कलंक लग जाता है कि वे किसी तरह से ‘असफल’ हैं। यह स्थिति विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए कठिन हो सकती है, जिनका तलाक समाज और परिवार की अपेक्षाओं के खिलाफ होता है।
सामंथा की यह विचारधारा हमें यह सिखाती है कि झूठ का मुकाबला करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद से यह सवाल करें कि क्या वास्तव में हमें इसका जवाब देने की आवश्यकता है, और क्या इससे कोई सकारात्मक परिणाम मिलेगा? समाज और मीडिया के द्वारा फैलाई गई झूठी अफवाहों और नकारात्मकता को अगर हम लगातार चुनौती देंगे, तो यह केवल हमारी मानसिक शांति को और प्रभावित करेगा।
यह उद्धरण पितृसत्तात्मक समाज की संरचना और उसमें महिलाओं को मिल रही असमानताओं को दर्शाता है। खासकर जब रिश्तों में खटास आती है या समस्याएं उत्पन्न होती हैं, तो अक्सर महिलाओं को दोषी ठहराया जाता है। यह न केवल व्यक्तिगत स्तर पर होता है, बल्कि व्यापक सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में भी महिलाओं को अधिक आलोचना और शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है।
यहां पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि पितृसत्तात्मक समाज में महिलाओं को परंपरागत रूप से कमजोर, दोषी और “संयमित” करने का दायित्व सौंपा जाता है। इस प्रकार की सोच, महिलाओं को अपनी व्यक्तिगत और सार्वजनिक पहचान को लेकर लगातार संघर्षों का सामना करने के लिए मजबूर करती है। ऐसे में, जैसे-जैसे रिश्ते में समस्याएं आती हैं, समाज का एक बड़ा हिस्सा महिला को ही दोषी ठहराने की प्रवृत्ति अपनाता है।
इस संदर्भ में, यह भी महत्वपूर्ण है कि ऐसा केवल व्यक्तिगत या पारिवारिक संबंधों में नहीं, बल्कि मीडिया, सोशल नेटवर्किंग और सार्वजनिक जीवन में भी देखा जाता है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी महिला की शादी में दिक्कतें आती हैं या अगर कोई महिला कोई गलत निर्णय लेती है, तो उसे केवल व्यक्तिगत रूप से ही नहीं, बल्कि समाज द्वारा भी नकारात्मक रूप से देखा जाता है। इस स्थिति में पुरुषों के लिए ऐसा बहुत कम होता है, उन्हें उतनी आलोचना का सामना नहीं करना पड़ता।
वेब शो सिटाडेल में अपने अभिनय के लिए प्रशंसा बटोर रहीं सामंथा रूथ प्रभु ने आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ी और तीन साल पहले नागा चैतन्य से तलाक के बाद उन्हें जिस तरह की ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा, उसके बारे में खुलकर बात की। गैलाटा इंडिया से बातचीत में, ‘ओ अंतवा मावा’ स्टार ने कहा, ”दुर्भाग्य से, हम एक ऐसे समाज में रहते हैं जो प्रकृति में इतना पितृसत्तात्मक है कि जब भी कुछ गलत होता है, तो एक महिला को… मैं यह नहीं कह रही कि पुरुष ऐसा नहीं करते, पुरुष करते हैं, लेकिन एक महिला को बहुत अधिक आलोचना और बहुत अधिक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ता है, न केवल ऑनलाइन, बल्कि वास्तविक जीवन में भी।”
सामंथा की यह विचारधारा हमें यह सिखाती है कि झूठ का मुकाबला करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि हम खुद से यह सवाल करें कि क्या वास्तव में हमें इसका जवाब देने की आवश्यकता है, और क्या इससे कोई सकारात्मक परिणाम मिलेगा? समाज और मीडिया के द्वारा फैलाई गई झूठी अफवाहों और नकारात्मकता को अगर हम लगातार चुनौती देंगे, तो यह केवल हमारी मानसिक शांति को और प्रभावित करेगा।
उनका यह कहना कि “आपके दोस्त और आपका परिवार सच्चाई जानता है, और यह ठीक है,” यह भी एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश है। यह दिखाता है कि अगर आप अपने आंतरिक संवाद पर भरोसा रखते हैं और अपनी सच्चाई को अपने भीतर बनाए रखते हैं, तो यह आपको मानसिक शांति और संतुलन देता है। सोशल मीडिया और समाज में फैल रही नकारात्मकता के बीच, यह समझना जरूरी है कि हम अपनी पहचान को दूसरों की राय पर आधारित नहीं बना सकते।
सामंथा का यह दृष्टिकोण उन लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हो सकता है, जो ऑनलाइन दुर्व्यवहार, अफवाहों और समाज के असंवेदनशील रवैये का शिकार होते हैं। उनका यह आत्मविश्वास और आत्म-स्वीकृति का संदेश यह सिखाता है कि दूसरों की नकारात्मक टिप्पणियों को अपने जीवन और आत्मसम्मान को प्रभावित करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। अपने आप से प्यार और सम्मान करना सबसे महत्वपूर्ण है, और जो सच है, वही हमें परिभाषित करता है।
यह उदाहरण हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें अपनी मानसिक और भावनात्मक भलाई के लिए कभी-कभी उन चीजों को नजरअंदाज करना पड़ता है जो हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं, ताकि हम अपने असली उद्देश्य और सच्चाई के साथ आगे बढ़ सकें।