नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक संबोधन के दौरान कहा था कि “हर जगह मंदिर ढूँढ़ने की इजाजत नहीं दी जा सकती,” जो एक विवाद का कारण बन गया। उनके इस बयान का स्वागत विपक्षी दलों और समाज के एक बड़े वर्ग ने किया था, जो इसे संतुलित और विचारशील विचार के रूप में देख रहे थे। हालांकि, इस बयान की आलोचना भी की गई। ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मोहन भागवत की आलोचना करते हुए उन पर ‘राजनीतिक सुविधा’ के अनुसार बयान देने का आरोप लगाया।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जब मोहन भागवत और संघ परिवार को सत्ता की आवश्यकता थी, तब वे मंदिरों की बात करते थे, लेकिन अब जब उन्हें सत्ता मिल चुकी है, तो मंदिरों के मुद्दे पर उन्हें नसीहत दे रहे हैं। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का यह आरोप इस बात पर केंद्रित था कि भागवत का बयान सत्ता प्राप्ति के बाद के राजनीतिक संदर्भ में आया, जो समाज और धर्म से जुड़े मुद्दों पर बदलते दृष्टिकोण को दिखाता है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की कड़ी निंदा की और केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह कड़ा कदम उठाते हुए भारत में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशियों को उनके देश वापस भेज दे। उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर सरकार ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जो गंभीर चिंता का विषय है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि अतीत में आक्रांताओं द्वारा हिंदू धर्मस्थलों को नष्ट किया गया, और उन्होंने केंद्र सरकार से ऐसे मंदिरों की सूची तैयार करने और उनका पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग की। उनका कहना था कि हिंदू समाज के गौरव को फिर से स्थापित किया जाना चाहिए, और यदि हिंदू समाज अपने मंदिरों का पुनर्निर्माण करना चाहता है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है।
स्वामी ने यह भी स्पष्ट किया कि हिंदू समाज के साथ अतीत में बहुत अत्याचार हुआ है, और उनके धर्मस्थलों को तहस नहस किया गया है। इसलिए, अगर अब हिंदू समाज अपने मंदिरों को पुनः संरक्षित और पुनर्निर्मित करने की कोशिश करता है, तो यह एक सही और स्वाभाविक कदम है, जिसे उनका समर्थन मिलना चाहिए। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संसद में बी.आर. आंबेडकर पर दिए बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा कि इस बयान के कारण ही संसद परिसर में धक्का-मुक्की की घटना हुई।
स्वामी ने विपक्ष के नेता राहुल गांधी का बचाव करते हुए यह भी कहा कि यह विवाद केंद्रीय गृह मंत्री द्वारा आंबेडकर पर दिए गए वक्तव्य की वजह से उत्पन्न हुआ था। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी टिप्पणी की कि देश में आंबेडकर की विचारधारा मानने वाले लोग बहुत अधिक हैं, और इसलिए हर कोई अपनी राजनीति के फायदे के लिए आंबेडकर के नाम का इस्तेमाल कर रहा है। उनका कहना था कि आंबेडकर के योगदान और विचारों का सही तरीके से सम्मान किया जाना चाहिए, न कि उनका नाम राजनीतिक लाभ के लिए उपयोग किया जाना चाहिए।