ज्योतिष शास्त्र में राहु और केतु को मायावी ग्रह माना जाता है, क्योंकि ये ग्रह दृष्टि, भ्रम और मानसिक उलझन को प्रभावित करते हैं। दोनों ग्रह वक्री चाल चलते हैं, यानी ये अपनी सामान्य दिशा से विपरीत दिशा में चलते हैं। राहु और केतु के राशि परिवर्तन से जातकों के जीवन में कुछ बदलाव आ सकते हैं, जो खासतौर पर मानसिक और भौतिक तनाव का कारण बन सकते हैं।
कालसर्प दोष एक गंभीर दोष माना जाता है, जिसे कुंडली में सभी ग्रहों का रज्जू (दूरी) राहु और केतु के बीच होता है। जब राहु और केतु के अलावा सभी ग्रह एक ही रेखा में होते हैं, तो इसे कालसर्प दोष कहा जाता है। इस दोष को समझने के लिए आपको कुंडली में विशेष रूप से देखना होगा कि क्या सभी ग्रह राहु और केतु के बीच बंद हो गए हैं या नहीं।
जिस जातक की कुंडली में कालसर्प दोष होता है। उसको अपने जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अनंत कालसर्प दोष से पीड़ित व्यक्ति को शुभ कार्यों में असफलता मिलती है और उसके जीवन में अकल्पनीय घटनाएं घटित होती हैं। ऐसा जातक मानसिक तनाव और चिंता से परेशान रहता है और कारोबार में भी नुकसान का सामना करना पड़ता है। उनके परिवार में क्लेश रहता है और ऐसा व्यक्ति लालची होता है।
इस दोष से निवारण के लिए रोजाना स्नान-ध्यान के बाद गंगाजल में काले तिल और जौ मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। वहीं रोजाना पूजा के दौरान महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करें। जरूरतमंदों को धन का दान दें और रोजाना विष्णु चालीसा का पाठ करें।