
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बहुचर्चित पीसीएस अफसर ज्योति मौर्या और उनके पति आलोक मौर्या का विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है। इस बार मामला आर्थिक सहायता (गुजारा भत्ता) को लेकर है। आलोक मौर्या ने अफसर पत्नी से गुजारा भत्ता दिलाए जाने की मांग को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए ज्योति मौर्या को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त को होगी। फिलहाल सबकी नजर कोर्ट के आदेश पर टिकी है। साथ ही चर्चा हो रही है कि क्या पति आलोक मौर्या को गुजारा भत्ता मिल सकता है या नहीं।
ज्योति मौर्या के पति आलोक मौर्या ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक अपील दायर की है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि वे पंचायत विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं और उनकी आमदनी बेहद सीमित है। वहीं उनकी पत्नी एक उच्च पदस्थ अधिकारी हैं, जो अच्छी-खासी तनख्वाह पाती हैं। इस आधार पर उन्होंने कोर्ट से गुजारा भत्ता देने की मांग की है। यह आदेश हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा और डॉ. वाई.के. श्रीवास्तव ने दिया है। यह अपील उस आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है, जिसमें आजमगढ़ की पारिवारिक अदालत ने आलोक मौर्या की अर्जी खारिज कर दी थी।
फैमिली कोर्ट के वकील राजेश कुमार पांडेय ने बताया कि आलोक मौर्या सेक्शन 24 की अपील में गए हैं या सेक्शन 25 का रिवीजन दाखिल किया है। इसकी जानकारी नहीं है। सेक्शन 24 हिंदू मैरिज एक्ट होता है। इसमें पति और पत्नी दोनों कवर होते हैं। इस एक्ट के तहत पति पत्नी से भी गुजारा भत्ता मांग सकता है और पत्नी अपने पति से भी गुजारा भत्ता मांग सकता है। हालांकि यह गुजारा भत्ता तभी मांग सकते हैं, जब दोनों के बीच पहले से कोई मुकदमा चल रहा हो। इसी तरह एक सेक्शन 125 CRPC जो कि अब नए कानून में 144 (BNS) हो गया है।
साथ ही वकील राजेश कुमार पांडेय ने यह भी बताया कि 144 BNS में पति के लिए लिमिटेड स्कोप है, लेकिन इनके मामले को देखकर लग रहा है कि आलोक मौर्य सेक्शन 24 की अपील में गए होंगे। क्योंकि इनका कोई न कोई मुकदमा पेंडिंग रहा होगा। इन्होंने सेक्शन 24 के तहत एप्लिकेशन दी होगी, जिसे खारिज कर दिया गया होगा। इसके बाद उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है।
इसमें देखा जाएगा कि पति और पत्नी की इनकम क्या है। कोर्ट देखेगा की पति अपना गुजारा करने में सक्षम है कि नहीं। अगर नहीं है और पत्नी कमाई करती है तो कोर्ट पति को गुजारा भत्ता दिए जाने के लिए आदेश दे सकती है। इसमें पत्नी के स्टेटस को भी देखा जाएगा। उन्होंने बताया कि ज्योति मौर्या यहां तक अपने पति के दम पर पहुंची हैं, ऐसे में आलोक मौर्य को हक है कि वो भी अपने के स्टेटस को इंज्वाय करें। वैसे भी आलोक मौर्य एक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है तो ऐसे में कोर्ट आदेश कर सकता है। कोर्ट दोनों की लायबिलिटी भी देखेगी। यह सब कुछ देखने के बाद भी कोर्ट आदेश देगी।
ज्योति मौर्या और आलोक मौर्या की शादी 2010 में हुई थी। आलोक ने 2009 में सरकारी नौकरी पाई थी और पत्नी की पढ़ाई-लिखाई और पीसीएस की तैयारी में सहयोग किया। 2015 में ज्योति का चयन पीसीएस में हुआ। आलोक मौर्या का दावा है कि साल 2020 तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन होमगार्ड कमांडेंट मनीष दुबे की जिंदगी में एंट्री के बाद से रिश्तों में दरार आ गई।
उन्होंने ज्योति मौर्या पर अवैध संबंध, भ्रष्टाचार और उपेक्षा जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। पारिवारिक न्यायालय से राहत न मिलने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की, जिस पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए ज्योति मौर्या को नोटिस भेजा है। अब सभी की नजर 8 अगस्त की अगली सुनवाई और हाईकोर्ट के संभावित आदेश पर टिकी हैं।