खूबसूरती का पर्याय थीं परवीन बॉबी

मुंबई। परवीन बॉबी फिल्म इंडस्ट्री की इतनी खूबसूरत अदाकारा थी कि जब उसे कोई देखता तो बस एकटक देखता ही रह जाता था। उसकी आंखें इतनी खूबसूरत थी कि मानो जैसे कोई अप्सरा स्वर्ग से स्वयं उतर आई हो। महज कुछ ही समय में वह फिल्म इंडस्ट्री में सभी की चहेती बन गई और हिंदी सिनेमा की सबसे खूबसूरत और बोल्ड ऐक्ट्रेसेस में शुमार हो गई। परवीन बॉबी की ने अपनी खूबसूरती और एक्टिंग के टेलेंट के दम पर करीब दो दशकों तक हिंदी सिनेमा पर राज किया और आज हमारे बीच न होने के बाद भी सभी के दिलों पर राज कर रही हैं।

बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा और खूबसूरती का पर्याय परवीन बॉबी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में हुआ था और उनकी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा औरंगाबाद में हुई और बाद में उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, अहमदाबाद में पढ़ाई की। उनके पिता वली मोहम्मद बाबी एक गुजराती मुस्लिम जूनागढ़ के नवाब के साथ एक प्रशासक थे। परवीन का जन्म अपने माता-पिता की शादी के चौदह साल बाद हुआ था और वह इकलौती संतान थीं।

उन्होंने अपने सफर की शुरुआत बतौर मॉडल की थी। जल्द ही उन्हें फिल्मों में ब्रेक मिल गया। जब 1973 में उन्होंने क्रिकेटर सलीम दुर्रानी के ऑपोजिट फिल्म ‘चैत्र’ से डेब्यू किया। फिल्म फ्लॉप रही, लेकिन परवीन बॉबी का चेहरा और खूबसूरती लोगों की आंखों में बस गई। हर कोई यह जानने को उत्सुक हो गया कि आखिर यह लड़की है कौन? शायद यही वजह रही कि उन्हें फ्लॉप डेब्यू के बाद भी ढेर सारी फिल्मों के ऑफर मिले। डेब्यू के एक साल के अंदर ही उन्होंने अमिताभ बच्चन के ऑपोजिट पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म दी।

अपने ब़ॉलीवुड के सफर के 2-3 साल के अंदर ही उन्होंने इतनी ख्याति पा ली कि वह टाइम मैगजीन के कवर पर फीचर हुईं। वह बॉलीवुड की पहली स्टार थी, जो टाइम मैगजीन के कवर पर नजर आयी थी। परवीन बॉबी का स्टारडम और जादू हर निर्माता-निर्देशक से लेकर हर हीरो के सिर चढ़कर बोल रहा था। अब हर कोई उनके साथ काम करना चाहता था। परवीन ने अमिताभ के अलावा उस वक्त के सभी लीड हीरो जैसे कि शशि कपूर, धर्मेंद्र, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना और ऋषि कपूर और फिरोज खान के साथ काम किया।

फिल्मी जगत के शहंशाह अमिताभ बच्चन के साथ परवीन की जोड़ी को इतना पसंद किया गया कि फिल्ममेकर भी लगभग हर फिल्म में दोनों की जोड़ी को रिपीट करने के सपने देखते रहते। परवीन और अमिताभ ने दर्जनों फिल्मों में साथ काम किया और लगभग सभी फिल्में हिट रहीं। इनमें ‘सुहाग’, ‘मजबूर’, ‘दीवार’, ‘देशप्रेमी’, ‘नमक हलाल’, ‘काला पत्थर’, ‘कालिया’ और ‘अमर अकबर ऐंथनी’ जैसी फिल्में शामिल हैं।

परवीन बॉबी ने 1983 में ही भारत छोड़ दिया और अध्यात्म की तलाश में अपने दोस्तों के साथ अमेरिका चली गईं। उस वक्त परवीन बॉबी का फिल्मी करियर ऊंचाइयों पर था। इस दौरान उन्होंने कई देशों की यात्रा की। 1984 में जब परवीन को न्यूयॉर्क के एक एयरपोर्ट पर रोका गया तो उस वक्त उनका बर्ताव बदला-बदला सा महसूस हुआ। कुछ पहचान पत्र न दिखा पाने की वजह से परवीन बॉबी को कई दिनों तक मानसिक रूप से बीमार लोगों के साथ एक अस्पताल में रखा गया था।

धीरे-धीरे उनकी जिंदगी में अब अकेलापन और भी बढ़ता जा रहा था। फिल्म इंडस्ट्री से उन्होंने खुद को काट लिया था लेकिन 1973 से 1992 के बीच वह अखबारों से लेकर मैगजीन तक के लिए लिखती रहीं। मुंबई के अपने घर में वह अकेली रहती थीं। किसी का कोई आना-जाना नहीं था। जो उनके अपने थे उन्होंने भी परवीन बॉबी से कन्नी काटनी शुरू कर दी।

इसके बाद वह 20 जनवरी 2005 को अपने मुंबई अपार्टमेंट में मृत पाई गई थी, जब उसके आवासीय सोसायटी के सचिव ने पुलिस से शिकायत की कि उसने दो दिनों से अपने दरवाजे से दूध और समाचार पत्र नहीं उठाए हैं। उसके मधुमेह की स्थिति की जटिलता के रूप में उसके पैर में गैंग्रीन पाया गया था। पुलिस ने किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार किया। इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार उसका अंतिम संस्कार करने के बाद, उसे 23 जनवरी को मुंबई में सांताक्रूज में उसकी मां के बगल में दफनाया गया।

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