
नई दिल्ली. कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद पी चिदंबरम ने इंडिया टुडे टीवी के कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई से विशेष बातचीत में कहा, “जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन्होंने अपनी सीमा पार कर ली थी और जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव स्वीकार करके सरकार का विरोध किया था.
चिदंबरम ने दावा किया कि इससे सरकार के साथ उनके रिश्ते खराब हो गए होंगे. यह साफ तौर से नजर आ रहा है कि दोनों अब एकमत नहीं हैं. चिदंबरम ने कहा, “जब सरकार ने धनखड़ पर भरोसा खो दिया, तो उन्हें जाना ही पड़ा.
चिदंबरम ने राज्यसभा में धनखड़ के इस्तीफे के संक्षिप्त और औपचारिक ऐलान को इस बात का सबूत बताया कि दोनों पक्षों के बीच अब कोई आपसी सम्मान नहीं बचा है. कांग्रेस सांसद ने कहा कि कोई विदाई समारोह नहीं हुआ, जिससे संकेत मिलता है कि धनखड़ का समर्थन खत्म हो गया है.
चिदंबरम ने आगे कहा, “उपसभापति ने राज्यसभा में उपराष्ट्रपति पद के खाली स्थान के बारे में एक संक्षिप्त और औपचारिक ऐलान किया और कहा कि कार्यक्रम की घोषणा बाद में की जाएगी. इसका मतलब है कि सरकार ने बिना किसी शोर-शराबे या धूमधाम के जगदीप धनखड़ को अलविदा कह दिया है, जिसका मतलब है कि दोनों तरफ का विश्वास और संबंध पूरी तरह से टूट गया है.”
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच बढ़ते तनाव पर भी बात की और कहा कि धनखड़ ने एक साल से ज़्यादा वक्त से न्यायिक मुद्दों पर टकराव का रुख अपनाया हुआ था. 74 साल के जगदीप धनखड़ ने अगस्त 2022 में पदभार ग्रहण किया और 2027 तक उनका कार्यकाल था.
चिदंबरम ने आगे कहा कि मोदी सरकार व्यक्तियों का तभी तक समर्थन करती है, जब तक वे उसके रुख से जुड़े रहते हैं, लेकिन जैसे ही वे रुख से हटते हैं, वह समर्थन वापस ले लेती है.
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, “देखिए, हम मोदी सरकार का कैरेक्टर जानते हैं. जब तक कोई शख्स उनकी बात मानता है, वे उससे दोस्ती बनाए रखते हैं. लेकिन जैसे ही वह उनकी बात से हटता है, वे अपना समर्थन वापस ले लेता हे. मैं यह नहीं कह रहा कि दगदीप धनखड़ के मामले में बिल्कुल ऐसा ही हुआ है, लेकिन कुछ तो हुआ होगा.”
इसके अलावा, चिदंबरम ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की एक बैठक का भी हवाला दिया, जिसमें बीजेपी नेता जेपी नड्डा और किरण रिजिजू दोपहर 12:30 बजे बैठक में शामिल हुए थे, लेकिन दोबारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए, जिसे अन्य लोगों ने बहिष्कार के रूप में देखा.
चिदंबरम ने कहा कि धनखड़ इस घटनाक्रम से नाराज़ दिखे और उन्होंने बैठक खत्म कर दी. उन्होंने सवाल किया, “12:30 से 4:30 बजे के बीच क्या हुआ?” यह पूछे जाने पर कि क्या विपक्ष पूर्व उपराष्ट्रपति पर अपना रुख बदल रहा है, चिदंबरम ने किसी भी बदलाव से इनकार किया. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने महीनों पहले ही जगदीप धनखड़ पर भरोसा खो दिया था.