ज्यादा भरोसा बना आत्मघाती

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी की उम्मीद के विपरीत आए रिजल्ट पर सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि 400 सीट न जीतने पर पार्टी के लोगों को निश्चित रूप से मंथन करना चाहिए। इसके अलावा विपक्ष द्वारा अल्पसंख्यकों को इकट्ठा करना और भाजपा के नेताओं का अहंकार भी पार्टी की जीत में बड़ी बाधा बना है। उन्होंने अग्निवीर और एनआरसी का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार को इस प्रकार के कानून और योजनाओं को लेकर निश्चित रूप से पुनर्विचार करने की जरूरत है।

सामाजिक कार्यकर्ता ने पार्टी के वरिष्ठ नेता दिलीप घोष को लेकर कहा कि बीजेपी को बंगाल में खड़ा करने का श्रेय उन्हीं को जाता है। लेकिन इस चुनाव में घोष को नजर अंदाज कर सुबेंदु अधिकारी पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अधिक भरोसा जताया। जिसको लेकर पार्टी के कई पुराने कार्यकर्ताओं में रोष व्याप्त हो गया था। साथ ही अचानक से पार्टी के शीर्ष नेताओं का टिकट बदलना भी हार का प्रमुख कारण बना।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर उन्होंने बताया कि वे राजनीति के लिए नहीं बने हैं लेकिन फिर भी पार्टी उनसे जबरदस्ती राजनीति करवा रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की चुनाव में योजना मुफ्तखोरी को बढ़ावा देने की रही है। पार्टी देश का भविष्य बनाने का विचार नहीं करती। जबकि उसके उलट बीजेपी ने हमेशा देश की अर्थव्यवस्था और विकास को गति करने के वादे किए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता ने दावा किया कि बीजेपी पिछली बार की तरह इस बार कड़े फैसले लेने में संकोच करेगी। क्योंकि अबकी बार बीजेपी की नहीं बल्कि एनडीए की सरकार बनी है।

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