विपक्ष ने डिसेंट नोट्स हटाने का लगाया आरोप

नई दिल्ली। सरकार ने  वक्फ बिल (संशोधन) विधेयक, 2024 पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की रिपोर्ट को संसद के दोनों सदनों में पेश किया। विपक्ष ने इसमें से असहमति के कथनों (डिसेंट नोट्स) को हटाने का आरोप लगाकर दोनों सदनों में जमकर बवाल किया। खासकर ऊपरी सदन राज्यसभा में कुछ ज्यादा ही बवाल मचा। सरकार ने रिपोर्ट से डिसेंट नोट्स हटाने के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया। सरकार का कहना है कि विपक्ष सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंक रहा है और जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।

संयुक्त ससंदीय समिति की सदस्य और बीजेपी सांसद डॉ. मेधा विश्राम कुलकर्णी ने राज्यसभा में जैसे ही विधेयक से संबंधित समिति के साक्ष्य का रिकॉर्ड पेश किया, विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसदों द्वारा दिए गए असहमति नोटों को सदन में पेश की गई रिपोर्ट में शामिल नहीं किया गया। हंगामे के चलते सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही 10 मिनट के लिए स्थगित कर दी।

नेता सदन जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि वाद विवाद और चर्चा लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन हमें परंपराओं का ध्यान रखना चाहिए और संवैधानिक प्रावधान के तहत सदन की कार्यवाही को चलाना चाहिए। यह खेद की बात है कि बार-बार के अनुरोध के बावजूद राष्ट्रपति का संदेश इस सदन में सही तरीके से नहीं रखा जा सका। इस पर विपक्ष के रवैये की सदन निंदा करता है। नड्डा ने कहा कि विपक्ष सदन नहीं चलाना चाहता और सिर्फ राजनीतिक रोटियां सेंकने की कोशिश कर रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि विपक्ष सदन को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। विपक्ष ने विरोध में सदन से बहिर्गमन किया।

नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वक्फ विधेयक से संबंधित संयुक्त समिति की रिपोर्ट से सदस्यों के असहमति के नोट हटाया जाना उचित नहीं है और वह इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तथा लोकतंत्र का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बाहरी लोगों के सुझाव लिए गए हैं, यह बड़ी हैरानी की बात है। उन्होंने कहा कि असहमति के नोट के साथ रिपोर्ट दी जानी चाहिए, इनके बिना विपक्ष इस रिपोर्ट को नहीं मानेगा। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में यदि असहमति के पत्र नहीं हैं तो उसे वापस भेजें और फिर सदन में पेश करें। उन्होंने कहा कि सदस्य समाज के साथ हो रहे अन्याय का विरोध कर रहे हैं। हम देश में समावेशी विकास चाहते हैं। लेकिन सरकार यदि संविधान के खिलाफ कार्य करती है तो विपक्ष विरोध करेगा। इस रिपोर्ट को समिति को दोबारा भेजें और इसकी समीक्षा के बाद दोबारा पेश किया जाए।
द्रमुक के तिरूचि शिवा ने नियम 274 का हवाला देते हुए कहा कि कोई भी रिपोर्ट असहमति नोट के साथ ही सदन में पेश की जा सकती है। आम आदमी पार्टी (आप) के संजय सिंह ने कहा कि मैं समिति का सदस्य हूं। आप हमारी बात से सहमत या असहमत हो सकते हैं लेकिन हमारी बात को रिपोर्ट से बाहर कैसे निकाल सकते हैं।

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