
नई दिल्ल। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही चर्चा में हिस्सा लेते हुए सरकार का मत आगे रखा। अपने भाषण के दौरान जब जयशंकर ट्रंप के सीजफायर दावों का खंडन कर रहे थे तब विपक्षी दलों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। इस पर गृह मंत्री अमित शाह का गुस्सा भड़क उठा। अमित शाह ने कांग्रेस पर करारा प्रहार करते हुए कहा है कि कांग्रेस पार्टी की जगह विपक्ष में ही है और वे अगले 20 सालों तक वहीं रहेंगे।
विदेश मंत्री एस जयशंकर को बार-बार टोके जाने पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह उठ खड़े हुए और कांग्रेस पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “मैं एक बात पर आपत्ति जताना चाहता हूं। भारत देश का विदेश मंत्री कुछ कह रहा है उनको उस पर भरोसा नहीं है, लेकिन उन्हें किसी और पर भरोसा है।” अमित शाह ने आगे तंज कसते हुए कहा, “मैं समझ सकता हूं उनकी पार्टी में विदेश का महत्व क्या है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ये पार्टी की सारी चीजें सदन को थोपे।” अमित शाह ने कहा कि इसीलिए आज कांग्रेस पार्टी विपक्ष में है। उन्होंने कहा, “इसीलिए आज ये वहां बैठे हैं और 20 साल तक वहीं बैठने वाले हैं।
विदेश मंत्री लोकसभा में ट्रंप के सीजफायर में मध्यस्थता के दावों के संबंध में बोल रहे थे। उन्होंने कहा है कि भारत ने संघर्ष के दौरान कोई बाहरी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की और परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुका। जयशंकर ने कहा, ‘‘10 मई को कई फोन कॉल आए और बताया गया कि पाकिस्तान संघर्ष विराम को तैयार है। हमने कहा कि डीजीएमओ के माध्यम से पाकिस्तान से यह अनुरोध आना चाहिए।’’ उन्होंने स्पष्ट किया कि इस दौरान अमेरिका से बातचीत में व्यापार से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं आया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के संघर्ष रुकवाने के दावों को लेकर विपक्ष के सवालों पर जयशंकर ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच 22 अप्रैल से 17 जून के बीच कोई सीधा संवाद नहीं हुआ।’’ उन्होंने बताया कि 22 अप्रैल को ट्रंप ने पहलगाम हमले के बाद मोदी से बात की थी और 17 जून को मोदी की कनाडा यात्रा के दौरान दोनों की फोन पर बात हुई थी।
इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने लोकसभा में कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्यों में से पाकिस्तान और तीन अन्य देशों को छोड़कर सभी ने ऑपरेशन सिंदूर का समर्थन किया था। जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) का सदस्य होने के नाते उस मंच पर इस संबंध में समर्थन पाना भारत के लिए कठिन था, लेकिन सुरक्षा परिषद के 25 अप्रैल के बयान को देखें तो इसमें कड़े से कड़े शब्दों में पहलगाम हमले की निंदा की गई। उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से पाकिस्तान को छोड़कर केवल तीन ने ऑपरेशन सिंदूर का विरोध किया।