जिसकी जैसी दृष्टि थी, उसको वैसा मिला : योगी

लखनऊ। सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में बोलते हुए विरोधियों पर तीखा हमला किया, खासकर उन लोगों पर जो महाकुंभ के खिलाफ बोलते हैं। उन्होंने महाकुंभ को लेकर कुछ कड़ी टिप्पणियाँ की और विरोधियों के दोगले रवैये पर नाराजगी जताई। सीएम ने इस दौरान कुंभ की महत्ता और उसकी धार्मिक और सांस्कृतिक भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों ने कभी इस आयोजन को लेकर नकारात्मक टिप्पणी की, उन्होंने अब इसके महत्व को समझा और इसे बढ़ावा देने के लिए काम किया। उनके इस भाषण में विरोधियों पर जमकर प्रहार किया गया।

उन्होंने महाकुंभ के खिलाफ बोलने वालों पर भी तगड़ा निशाना साधा। सीएम योगी ने कहा कि महाकुंभ में जिसने जो तलाशा उसको वो मिला। गिद्धों को लाश मिली, सूअरों को गंदगी मिली… जबकि, संवेदनशील लोगों को रिश्तो की सुंदर तस्वीर मिली, सज्जनों को सज्जनता मिली, व्यापारियों को धंधा मिला, श्रद्धालुओं को साफ-सुथरी व्यवस्था मिली… जिसकी जैसी नियत थी, दृष्टि थी, उसको वैसा मिला। 

सीएम योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में विपक्ष पर हमला करते हुए महाकुंभ के संदर्भ में कहा कि विपक्ष ने झूठी बातें फैलाईं, जैसे कि एक जाति विशेष के व्यक्ति को महाकुंभ में जाने से रोका गया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा सद्भाव और भाईचारे की बात की और किसी भी समुदाय या जाति के व्यक्ति को इस धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन से वंचित नहीं किया। सीएम योगी का यह बयान विरोधियों की आलोचना का जवाब था, जिसमें उन्होंने महाकुंभ को लेकर नकारात्मक टिप्पणियाँ की थीं।

यह बयान राजनीति में धार्मिक और सामाजिक मुद्दों के महत्व को दर्शाता है। सीएम योगी ने इस दौरान यह भी कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा हर व्यक्ति को समान अवसर और अधिकार देने का काम किया है, और उनका उद्देश्य हमेशा समृद्धि और सामाजिक सद्भाव बनाना रहा है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी विधानसभा में समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग (सपा) लगातार महाकुंभ पर टिप्पणी करते रहते हैं, और इनकी मानसिकता अब सबके सामने आ चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा और अन्य विरोधी पार्टियाँ हर चीज का विरोध करती हैं, चाहे वह महाकुंभ जैसा धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन हो या फिर प्रदेश के विकास से जुड़ी कोई योजना।

सीएम योगी का यह बयान विधानसभा में एक मजबूत राजनीतिक संदेश देने के उद्देश्य से था, जिसमें उन्होंने यह भी कहा कि यह विरोधी पार्टियाँ हमेशा असहमति जताकर सिर्फ राजनीतिक लाभ प्राप्त करने का प्रयास करती हैं। उनकी यह टिप्पणी सपा के खिलाफ विशेष रूप से थी, जो महाकुंभ के आयोजन और उसकी व्यवस्था पर सवाल उठा रही थी। यह बयान धार्मिक और राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन चुका है, और इसके प्रभाव को देखने के लिए हमें आगे के घटनाक्रमों का इंतजार करना होगा।

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