प्रयागराज। पौष पूर्णिमा 2025 का दिन निश्चित ही एक अद्भुत अवसर होगा, जो न केवल सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए एक विशेष महत्व रखता है। इस दिन का संबंध बहुत सारे धार्मिक अनुष्ठानों, जैसे कि गंगा स्नान, व्रत, पूजा और विशेष रूप से महाकुंभ से जुड़ा हुआ है।
इस बार पौष पूर्णिमा पर महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जो हर 12 वर्ष में एक बार होता है, और 144 वर्षों के बाद यह संयोग बन रहा है। महाकुंभ के दौरान लाखों श्रद्धालु हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में स्नान करके अपने पापों से मुक्ति की प्राप्ति करते हैं। यह समय विशेष रूप से पुण्य का होता है, जब नदियों में डुबकी लगाने से व्यक्ति के जीवन के सभी पाप धुल जाते हैं।
पौष पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से सूर्य देव, चंद्रमा, और अन्य देवी-देवताओं की पूजा के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन विशेष व्रत और उपवास का महत्व है, जो भक्तों को शांति और समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होता है। यह अद्भुत संयोग न केवल धार्मिक रूप से, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस समय को ध्यान में रखते हुए, यह अवसर भक्तों के लिए दोगुनी पुण्य कमाने का अवसर लेकर आ रहा है।
लखनऊ के श्री पितामह ज्योतिष केंद्र के आचार्य शुभम त्रिवेदी ने उत्तर प्रदेश टाइम्स को बताया कि पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को है। अब आपके मन में सवाल उठ सकता है कि क्या यह 13 जनवरी को मनाई जाएगी या 14 जनवरी को? तो आपको बता दें, हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष पूर्णिमा 13 जनवरी को ही मनाई जाएगी, क्योंकि यह दिन चंद्रमा के उदय तिथि के साथ मेल खाता है। इस दिन का महत्व और भी बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन महाकुंभ मेला का आयोजन प्रयागराज में शुरू हो रहा है!
पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5:27 बजे से लेकर 6:21 बजे तक है, इसलिए इस समय को चूकें नहीं। इसी दिन चंद्रायन (चंद्रमा का उदय) शाम 5:04 बजे होगा, जो व्रति की पूजा के लिए आदर्श समय होता है। पौष पूर्णिमा को लेकर कई विशेष धार्मिक मान्यताएं हैं और इस दिन कुछ खास कार्यों को करना बेहद लाभकारी माना जाता है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि और क्यों इसे इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
पौष पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से पवित्र नदियों में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और जीवन में सकारात्मक बदलाव आता है। यदि नदी में स्नान करना मुश्किल हो तो घर में गंगाजल डालकर स्नान भी किया जा सकता है। इस दिन सूर्य देव और चंद्रमा दोनों की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इन दोनों की पूजा से आपके मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
इस दिन दान का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति पौष पूर्णिमा के दिन दान करता है, उसे कई गुना फल मिलता है। विशेष रूप से गुड़, तिल, गेहूं और कंबल का दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा करके घर में सुख-समृद्धि लाने के उपाय किए जाते हैं। विशेष रूप से, लक्ष्मी पूजा से घर की दरिद्रता समाप्त होती है।