अध्यात्म को समर्पित नवंबर माह

धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज मनाएंगे लोग

 अध्यात्मिक डेस्क। नवंबर में 15 दिन तीज-त्योहारों वाले रहेंगे। इस महीने की शुरुआत दीपों के पंचपर्व के साथ हो रही है। इनमें धनतेरस, रूप चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज रहेंगे। इनके बाद अगले हफ्ते की शुरुआत में छठ पूजा होगी और आखिरी में आंवला नवमी व्रत रहेगा। नवंबर के तीसरे सप्ताह की शुरुआत तुलसी विवाह यानी देव प्रबोधिनी एकादशी के साथ होगी। इस हफ्ते वृश्चिक संक्रांति और कार्तिक पूर्णिमा यानी देव दिवाली पर्व मनाया जाएगा। इस महीने के आखिरी सप्ताह में सिर्फ 2 ही खास व्रत रहेंगे। नवंबर में देव प्रबोधिनी एकादशी पर भगवान विष्णु योग निद्रा से जागेंगे और चातुर्मास खत्म होगा। इस दिन से ही शादी, गृह प्रवेश और अन्य मांगलिक कामों की शुरुआत हो जाएगी।

1 नवंबर, रमा एकादशी: कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी व्रत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु जी को समर्पित है।

2 नवंबर, धनतेरस: दिवाली से पहले धनतेरस पर धन और समृद्धि के देवता कुबेर भगवान का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि कुबेर देव प्रसन्न होकर घर में धन के भंडार भर देते हैं। इस दिन भौम प्रदोष व्रत भी है।

3 नवंबर, नरक चतुर्दशी: दिवाली से ठीक एक दिन पहले नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी, रूप चौद, काली चौदस और छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है।

4 नवंबर, दीपावली: दिवाली हिंदू धर्म का प्रमुख त्योहार है। यह हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यह रौशनी और खुशहाली का पर्व है। इस दिन मां लक्ष्मी और गणपति महाराज की पूजा का विधान है।

5 नवंबर, गोवर्धन पूजा: दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा का विधान है। इस पर्व में गोवर्धन और गाय की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन लोग घर के आंगन में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर गोवर्धन भगवान की पूजा करेंगे |

6 नवंबर, भाईदूज: भाईदूज भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व है। बहनें भाई की कलाई में कलावा और माथे पर तिलक करके लंबी आयु व सुख समृद्धि की कामना करेंगी।

8 नवंबर, विनायक चतुर्थी: विनायक चतुर्थी व्रत गणपति महाराज की कृपा पाने के लिए हर महीने शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन रखा जाएगा।

10 नवंबर, छठ पूजा: छठ पूजा पर्व कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन छठ माई और सूर्य की पूजा की जाएगी। यह पर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है।

12 नवंबर, गोपाष्टमी: इस दिन गाय की पूजा की जाएगी।

13 नवंबर, आंवला नवमी: इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य और परिवार की समृद्धि की कामना से दिनभर व्रत रखती हैं। आंवले के पेड़ की पूजा करती हैं और इस पेड़े की छाया में बैठकर भोजन करती है। मान्यता है कि ऐसा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है। लक्ष्मीजी की कृपा होती है और हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।

15 नवंबर, देवउठनी एकादशी: शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाएगी। इस दिन भगवान विष्णु चार माह की निद्रासन से जागेंगे और मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

16 नवंबर, भौम प्रदोष: प्रदोष हर माह त्रयोदशी तिथि के दिन रखा जाता है। जब यह तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है तो उस भौम प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिवजी और माता पार्वती का व्रत किया जाएगा। साथ मंगल देव की आराधना भी की जाएगी।

19 नवंबर, कार्तिक पूर्णिमा: कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान और त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गंगा स्नान का महत्व है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी, जलकुंड अथवा सरोवर में स्नान करने से पुण्यफल की प्राप्ति होती है।

23 नवंबर, संकष्टी चतुर्थी: पं. मिश्रा के अनुसार, संकष्टी चतुर्थी व्रत कृष्ण पक्ष चतुर्थी को रखा जाएगा |गणेश जी को प्रथम देव माना गया है, इसलिए हर शुभ कार्य से पहले उन्हें ही पूजा जाता है।

30 नवंबर, उत्पन्ना एकादशी: मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा गया है। इस दिन एकादशी व्रत में भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाएगी |

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