
नई दिल्ली। इंडिया वर्सेस इंग्लैंड टेस्ट सीरीज का अंत बेहद ही रोमांचक अंदाज में हुआ। भले ही यह सीरीज कोई जीत नहीं पाया और 2-2 पर ड्रॉ रही हो, मगर दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने जो जोश, जो एफर्ट दिखाए वो तारीफ के काबिल थे। जब नवनियुक्त कप्तान शुभमन गिल की अगुवाई में नई नवेली टीम इंडिया इंग्लैंड गई थी तो किसी को विश्वास नहीं था कि यह टीम सीरीज ड्रॉ भी करवा पाएगी। मगर आखिरी मैच में भारत ने इंग्लैंड के मुंह से जीत छीनते हुए सीरीज को बराबरी पर खत्म किया। सीरीज के दौरान बल्लेबाजी में शुभमन गिल तो गेंदबाजी में मोहम्मद सिराज छाए रहे। वहीं कुछ भारतीय खिलाड़ियों ने निराश भी किया।
करुण नायर और साई सुदर्शन दोनों खिलाड़ियों के पास टीम में अपनी जगह पक्की करने का मौका था, लेकिन वे कोई खास छाप नहीं छोड़ पाए। हालांकि दोनों ने सीरीज के दौरान एक-एक अर्धशतक जरूर लगाया, लेकिन वह लंबी पारी खेलने में सक्षम नहीं रहे। सुदर्शन की उम्र को देखते हुए उन्हें आगे भी मौके मिल सकते हैं, मगर 8 साल बाद टेस्ट टीम में वापसी करने वाले करुण नायर का पत्ता कट सकता है। हो सकता है यह उनके करियर की आखिरी टेस्ट सीरीज भी हो।
इंग्लैंड दौरे पर किसी भी बैटिंग परफॉर्मेंस का आधार उनके ओपनर्स होते हैं। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल की जोड़ी ने इस सीरीज में खुब इंप्रेस किया। जायसवाल ने अपने बेबाक स्ट्रोक्स और धैर्य से प्रभावित करना जारी रखा और विदेशी धरती पर एक और शतक जड़ा। राहुल ने सीनियर जोड़ीदार की भूमिका बखूबी निभाई, जरूरत पड़ने पर नई गेंद को मजबूती से इस्तेमाल किया और उस खिलाड़ी की झलक दिखाई जिसने कभी लॉर्ड्स में शतक जड़ा था।
हर किसी को डर था कि 25 साल का युवा खिलाड़ी कप्तानी और नंबर-4 की जिम्मेदारी को कैसे एक साथ संभाल पाएगा, मगर गिल ने दोनों ही डिपार्टमेंट में अपने आलोचकों को मुंहतोड़ जवाब दिया। उन्होंने सीरीज में 700 से ज्यादा रन बनाए, परिपक्वता के साथ आगे बढ़कर नेतृत्व किया और दबाव की परिस्थितियों में अक्सर पारी को संभाला। बड़ी पारियां खेलने की उनकी क्षमता अब एक पहचान बन गई है, हालांकि कठिन पिचों पर उनकी वापसी में अभी भी सुधार की गुंजाइश है। लंदन में हुए दोनों मुकाबलों में वह बड़ा स्कोर नहीं कर पाए।
ऋषभ पंत के बारे में आप क्या कहेंगे? ऑस्ट्रेलिया और फिर आईपीएल में खराब प्रदर्शन के दबाव में, पंत ने अपनी लय तोड़ी और बल्ले से महत्वपूर्ण रन बनाए। चोटिल और घायल होने के बावजूद, उन्होंने हार मानने से इनकार कर दिया, यहां तक कि मैनचेस्टर टेस्ट मैच में पैर की उंगली में फ्रैक्चर के बावजूद भी बल्लेबाजी की।
रवींद्र जडेजा ने इंग्लैंड के खिलाफ एक शतक और 5 अर्धशतक जड़ अपने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया है। इस सीरीज में उन्होंने एक ऑलराउंडर की नहीं बल्कि एक पूर्ण बल्लेबाज की भूमिका अदा कि। वह उन चुनिंदा खिलाड़ियों में शामिल रहे जिन्होंने सीरीज में 500 रन का आंकड़ा पार किया। उनके इस प्रदर्शन के दम पर भारतीय लोअर मिडिल ऑर्डर काफी मजबूत दिखा।
जुरेल को तैयारी के लिए ज़्यादा समय नहीं मिला, पंत के चोटिल होने के बाद उन्होंने सिर्फ दो टेस्ट मैचों में विकेट कीपिंग की। लॉर्ड्स में ढलान के कारण उनको थोड़ी दिक्कत जरूर आई, मगर जल्द ही वह इंग्लैंड की कंडीशन में ढल गए। आखिरी टेस्ट में वह बल्ले से कमाल नहीं दिखा पाए हो, मगर विकेट कीपिंग से उन्होंने हर किसी को प्रभावित किया।
बल्लेबाजी को मजबूत करने के लिए लाए गए सुंदर ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई, खासकर मैनचेस्टर टेस्ट में। उनकी पारी ने भारत को मैच में बने रहने में मदद की। लॉर्ड्स में उनके स्पैल ने यह सवाल भी उठाया कि क्या उन्हें गेंदबाजी में ज्यादा इस्तेमाल किया जाना चाहिए था। मगर जितने मौके मिले, सुंदर ने ज्यादार अच्छा परफॉर्म किया।
मोहम्मद सिराज इस सीरीज के हीरो रहे। इस सीरीज में उन्होंने ना सिर्फ सभी 5 टेस्ट मैच, बल्कि हर समय अपना 100 प्रतिशत दिया। वह सीरीज में सबसे ज्यादा ओवर, सबसे ज्यादा गेंदे फेंकने के साथ-साथ सबसे ज्यादा 23 विकेट चटकाने में कामयाब रहे। उनके इस प्रदर्शन को ओवल में आखिरी दिन के उनके स्पैल के जरिए सबसे ज्यादा याद किया जाएगा। वह हमेशा निरंतर प्रदर्शन नहीं कर पाए, लेकिन उनकी आक्रामकता, जोश और आत्मविश्वास ने सब कुछ बदल दिया। अहम मौकों पर बुमराह की अनुपस्थिति में भी सिराज ने मोर्चा संभाला और साबित कर दिया कि अब वह दुनिया के शीर्ष तेज गेंदबाज़ों में से एक हैं।
जसप्रीत बुमराह इस सीरीज में भारतीय बॉलिंग यूनिट के लीडर के रूप में आए थे, मगर उनका प्रदर्शन उनके स्टैंडर्ड के हिसाब से काफी फीका रहा। वर्कलोड मैनेजमेंट के चलते वह सीरीज के 5 ही मैच खेले, मगर इस दौरान उन्होंने 14 विकेट लिए। वहीं कृष्णा ने दिखाया कि वह दबाव झेल सकते हैं, खासकर अंतिम टेस्ट में वापसी के दौरान। हालांकि उनमें निरंतरता की कमी थी, लेकिन उन्होंने जो गति और उछाल पैदा किया, उससे उनकी क्षमता का संकेत मिलता है, जिसे अगर निखारा जाए, तो भारत के लिए अच्छा साबित हो सकता है।
आकाशदीप ने सीरीज के दौरान कई मौकों पर इंप्रेस किया, मगर उनकी गेंदबाजी में अभी भी सुधार की जरूरत है। आकाश दीप ने बॉलिंग के अलावा आखिरी टेस्ट में अपने दमदार अर्धशतक से प्रभावित किया। उनमें एक छोर को बांधकर रखने की क्षमता है, लेकिन भारत को उन्हें एक और आक्रामक गेंदबाज के रूप में विकसित करने की जरूरत होगी ताकि वे लंबे समय तक टीम में रह सकें।