नागालैंड की एकमात्र सीट पर 6 जिलों के लोगों ने शुक्रवार को वोटिंग नहीं की। पहले चरण के मतदान में कई राज्यों की 102 सीटों पर वोटिंग हुई थी। लेकिन नागालैंड के 6 पूर्वी जिलों में लोग वोटिंग के लिए नहीं आए। मतदान कर्मी लगातार 9 घंटों तक मतदाताओं की बाट जोहते रहे। लेकिन एक संगठन के बंद के आह्वान के चलते कोई आदमी वोट डालने नहीं आया। इस संगठन ने अपनी मांग सीमांत नागालैंड क्षेत्र (एफएनटी) को लेकर दबाव बनाने के लिए बंद का ऐलान किया था।
मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने शुक्रवार को कहा था कि ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (ईएनपीओ) की मांग एफएनटी को लेकर कोई परेशानी नहीं है। उनकी सरकार पहले ही इस इलाके के लिए अलग पावर की सिफारिश कर चुकी है। ईएनपीओ सात आदिवासी संगठनों में टॉप माना जाता है। सड़कों पर लोगों की आवाजाही भी कम रही। सिर्फ प्रशासन और आपातकालीन सेवाएं जारी रहीं।
अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी आवा लोरिंग की ओर से बताया गया कि सुबह 7 से शाम 4 बजे तक वोटिंग हुई। 20 विधानसभा सीटों पर वोटिंग के लिए कर्मी मौजूद रहे। प्रदेश में सवा 13 लाख वोटर हैं। जिसमें पूर्वी 6 जिलों के 4 लाख 632 शामिल हैं।
सीएम ने राजधानी कोहिमा से 41 किलोमीटर दूर अपने गांव तौफेमा में वोट डाला। बाद में कहा कि उन्हें एफएनटी ड्राफ्ट वर्किंग पेपर गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में दिया गया था। जिसको स्वीकार कर लिया गया है। इससे पहले ईएनपीओ इन 6 जिलों की अनदेखी किए जाने के आरोप लगा रहा है। उसके अनुसार क्षेत्र का सामाजिक, आर्थिक विकास नहीं हो रहा है। सीएम ने कहा कि स्वायत्त निकाय के लिए अप्रोच कर रखी है, ताकि इन इलाकों को भी बराबर पैकेज मिले। विधायक की वोटिंग न होने और कार्रवाई के बारे में सीएम ने कहा कि वे टकराव नहीं चाहते हैं। देखा जाएगा कि क्या हो सकता है?