
मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को एल्गार परिषद माओवादी लिंक मामले में मंगलवार को जमानत मिल गई, जब सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश पर रोक बढ़ाने से इनकार कर दिया, जिसमें कार्यकर्ता को जमानत दी गई थी।सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एल्गार परिषद माओवादी लिंक मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को जमानत दे दी। जस्टिस एमएम सुंदरेश और एसवीएन भट्टी की दो-न्यायाधीशों वाली पीठ ने भी रोक बढ़ाने से इनकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा वह चार साल से जेल में हैं। हाई कोर्ट ने विस्तृत आदेश के जरिए उन्हें जमानत दे दी है। विवाद में पड़े बिना, हम स्टे को आगे नहीं बढ़ाने के इच्छुक हैं। मुकदमा पूरा होने में कई साल लगेंगे। हम रोक नहीं बढ़ाएंगे।
नवंबर 2022 से नवलखा मुंबई में एक सार्वजनिक पुस्तकालय में नजरबंद हैं और मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए ‘भड़काऊ भाषणों’ से संबंधित है, जिससे कथित तौर पर अगले दिन भीम के पास हिंसा भड़क गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को नजरबंदी के तहत सुरक्षा के खर्च के लिए 20 लाख रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। दिसंबर 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने नवलखा को जमानत दे दी थी, लेकिन राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने के लिए समय मांगने के बाद अपने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी थी।