नासा के भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन

वॉशिंगटन। नासा के भारतीय मूल के अंतरिक्ष यात्री अनिल मेनन का नाम अंतरराष्ट्रीय स्पेस जाने वाले क्रू में तय हो गया है। अनिल मेनन एक फ्लाइट इंजीनियर हैं और वे एक्सपीडिशन 75 क्रू के सदस्य होंगे। नासा ने आधिकारिक बयान जारी कर इसकी जानकारी दी है। नासा के अनुसार, मेनन रोस्कोमोस सोयूज एमएस-29 अंतरिक्षयान में सवार होकर जून 2026 में अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन के लिए रवाना होंगे।

अनिल मेनन के साथ आईएसएस जाने वाले अन्य अंतरिक्ष यात्री रोस्कोमोस के अंतरिक्ष यात्री योत्र डुबरोव और एना किकिना होंगे। रोस्कोमोस सोयूज एमएस-29 अंतरिक्षयान कजाखस्तान के बाइकोनुर कॉस्मोड्रोम से उड़ान भरेगा और यह मिशन करीब आठ महीने का होगा। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर अनिल मेनन कई वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनकी मदद से इंसानों को भविष्य के अंतरिक्ष मिशन में फायदा मिले।

अनिल मेनन साल 2021 में नासा के अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चयनित हुए थे। मेनन ने साल 2024 में 23वीं एस्ट्रोनॉट कक्षा से स्नातक किया था। अपनी अंतरिक्षयात्री की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद ही अनिल मेनन ने अपने पहले अंतरिक्ष मिशन की तैयारी शुरू कर दी थी। अनिल मेनन का जन्म अमेरिका के मिनियोपोलिस में हुआ और वे वहीं पले-बढ़े हैं। मेनन पेशे से एक आपातकालीन मेडिसिन फिजीशियन और मैकेनिकल इंजीनियर हैं। वे अमेरिका की स्पेस फोर्स में कर्नल के पद पर भी तैनात हैं। अनिल मेनन के माता-पिता भारतीय और यूक्रेनी मूल के हैं। मेनन के पास हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से न्यूरोबायोलॉजी की डिग्री है। उन्होंने कैलिफोर्निया की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियर और मेडिकल की भी डिग्री हासिल की है। मेनन ने स्टैनफोर्ड से आपातकालीन मेडिसिन और एयरोस्पेस मेडिसिन की पढ़ाई की और वे टेक्सास मेडिकल सेंटर के मेमोरियल हर्मन अस्पताल में आपात मेडिसिन विभाग में बतौर डॉक्टर काम करते हैं।

मेनन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास में डॉक्टर्स को पढ़ाते भी हैं। मेनन ने मस्क की कंपनी स्पेसएक्स में पहले फ्लाइट सर्जन के रूप में भी काम किया और ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट के पहले क्रू की भी लॉन्चिंग में मदद की। स्पेसएक्स के मेडिकल संगठन से भी मेनन जुड़े हैं, जो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों की मदद के लिए काम करता है। करीब 25 वर्षों से वैज्ञानिक और अंतरिक्षयात्री अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर रहकर शोध कार्य कर रहे हैं ताकि भविष्य में इन शोध का फायदा धरती पर भी लोगों को मिल सके। नासा चंद्रमा और नासा मिशन के लिए काम कर रहा है। साथ ही पृथ्वी की निचली कक्षा में भी व्यापारिक अवसर देख रहा है।

Related Articles

Back to top button