
भारत की ओलंपिक मेडलिस्ट पहलवान साक्षी मलिक की किताब “विटनेस” अब प्रकाशित हो चुकी है, जिसमें उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी हर महत्वपूर्ण घटना का विस्तार से वर्णन किया है। यह किताब उनके करियर, शादी, संघर्ष, और जीवन के कठिन दौरों को लेकर एक बेहद ईमानदार और प्रेरणादायक कहानी पेश करती है। “विटनेस” किताब में साक्षी ने न केवल अपने पहलवानी करियर के बारे में बात की है, बल्कि उनके निजी जीवन के भी कई पहलुओं पर खुलकर चर्चा की है। किताब में उन चुनौतियों का जिक्र किया गया है जिनका साक्षी को अपने लक्ष्य को पाने के लिए सामना करना पड़ा, साथ ही उन प्रेरणाओं और संघर्षों को भी साझा किया गया है जो उन्हें आगे बढ़ने की शक्ति देते रहे।
साक्षी ने ओलंपिक में रियो 2016 में भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। इस किताब के माध्यम से उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण रास्ते और जीवन के कठिन पल को साझा किया है, और यह किताब हर व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा बन सकती है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो किसी भी क्षेत्र में अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहती हैं।साक्षी ने अपनी किताब में खुलकर अपने शादी के बाद के अनुभवों, समाज से मिल रही प्रतिक्रियाओं, और पहलवान के रूप में अपने सफर को बेबाकी से प्रस्तुत किया है। उनके लिए यह किताब न केवल आत्मकथा है, बल्कि यह एक यात्रा है, जिसमें साक्षी ने अपनी पूरी सच्चाई साझा की है।
साक्षी मलिक से जब उनके रेसलिंग से रिटायर्मेंट के फैसले और अपनी किताब के नाम “विटनेस” के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने दिलचस्प और स्पष्ट जवाब दिया। साक्षी ने कहा कि उनका नाम “विटनेस” (गवाह) का अर्थ पहले से ही यही है, और इसलिए उन्हें अपनी किताब का नाम रखने के लिए इससे बेहतर कोई नाम समझ में नहीं आया। उन्होंने आगे बताया कि किताब में जो भी बातें लिखी गई हैं, वे सभी सच्चाई पर आधारित हैं, और वह हमेशा से सच बोलने में विश्वास करती हैं।
साक्षी ने अपनी बातों में यह भी कहा कि सच को पहले बोलना जरूरी है, चाहे उसका परिणाम कुछ भी हो। उनका मोटिव यही है कि जो कुछ भी सच है, वह बिना किसी डर या दबाव के कहें। उनके लिए सत्यता और ईमानदारी से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है, और यही उनका जीवन का मूल मंत्र है।
साक्षी मलिक की यह किताब उनकी जीवन यात्रा, अनुभवों, और संघर्षों की सच्ची कहानी है, जो उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है जो अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। साक्षी के इस बयान से यह भी साफ होता है कि उनके लिए रिटायर्मेंट का फैसला सिर्फ एक अध्याय का अंत नहीं, बल्कि अपने भविष्य के लिए नए रास्तों को अपनाने की शुरुआत है।