मौर्य को मिल सकती है प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी

लखनऊ। सत्ताधारी दल भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर तमाम तरह की चर्चाएं जोरों पर चल रही है। चर्चा है कि यूपी बीजेपी अध्यक्ष के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है। सूत्रों की माने तो बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा हो सकती है। बीजेपी सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि बीजेपी के लिए दोनों रास्ते खुले हैं। इसके साथ ही एक दूसरी चर्चा यह भी जोरों पर है कि यूपी के पूर्व बीजेपी अध्यक्ष और मौजूदा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल सकती है।

हालांकि इसका फैसला बीजेपी नेतृत्व को लेना है। वहीं बीजेपी केशव मौर्य को संगठन में भेजकर मुख्यमंत्री चेहरे के लिए योगी आदित्यनाथ का रास्ता साफ कर देगी। इस तरह बीजेपी एक तीन से दो निशाने साध देगी। दरअसल उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हाल की मुलाकातों ने सूबे की राजनीति का पारा बढ़ा दिया है। केशव मौर्य ने 8 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह से बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से अहम मुलाकात की है। इस मुलाकात के दौरान यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर अहम चर्चा हुई है।

अमित शाह से मुलाकात के बाद केशव मौर्य ने खुद स्वीकार किया है कि 2027 में 2017 दोहराने और यूपी में जीत हैट्रिक लगाने पर चर्चा हुई है। 2017 में केशव प्रसाद मौर्य यूपी बीजेपी के अध्यक्ष थे और उन्ही की अगुवाई में बीजेपी ने ऐतिहासक जीत दर्ज की थी। ऐसे में केशव के बयान ने ही उन्हें फिर प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलने की चर्चाओं को हवा दे दी है। वहीं प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री व मौजूदा राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा ने बीजेपी अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति पर बड़ा बयान दिया है।

दिनेश शर्मा ने बताया कि बीजेपी की एक चयन प्रक्रिया है, सबसे बात करने के बाद केंद्रीय नेतृत्व इसपर निर्णय लेता है। बीजेपी किसी भी योग्य कार्यकर्ता को अध्यक्ष बना सकती है। बीजेपी में संविधान के अनुसार पूरी प्रक्रिया होती है। सभी प्रक्रियाएं पूरी कर ली है। केंद्रीय नेतृत्व कभी भी निर्णय ले सकता है। उन्होंने बताया कि बीजेपी अध्यक्ष के लिए जितने प्रदेशों में चुनाव होना चाहिए था, वो चुनाव हो चुके हैं। इसलिए अब राष्ट्रीय का भी एलान कर सकते हैं और प्रदेश का भी एलान कर सकते हैं। इसका फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व को लेना है, उनके लिए दोनों रास्ते खुले हैं।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को बीजेपी में ओबीसी समुदाय का सबसे बड़ा चेहरा माना जाता है। प्रदेश में पिछड़े वर्ग की बड़ी आबादी है और पार्टी को 2017 और 2019 में इस वर्ग से भरपूर समर्थन मिला था। ऐसे में जब समाजवादी पार्टी पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) फॉर्मूले के जरिए बीजेपी के ओबीसी वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। तब केशव प्रसाद मौर्य को सामने लाकर बीजेपी पिछड़े वर्ग को साधने की रणनीति पर काम कर सकती है।

केशव मौर्य 2017 में जब यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे, उस वक्त पार्टी ने 403 में से 312 सीटें जीतकर रिकॉर्ड कायम किया था। वे जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं, जो गली-गली जाकर संगठन को खड़ा करने की क्षमता रखते हैं। इसीलिए पार्टी फिर से 2027 में वैसी ही जीत दोहराने के लिए उनके अनुभव और पकड़ का फायदा उठाना चाहती है।

बीजेपी में जहां एक ओर अमित शाह जैसे आक्रामक रणनीतिकार हैं, वहीं राजनाथ सिंह जैसे संतुलनकारी चेहरे भी पार्टी की दिशा तय करते हैं। केशव मौर्य दोनों के बीच संवाद बनाए रखने में सक्षम हैं। हाल ही में उनकी अमित शाह और राजनाथ सिंह से बैक-टू-बैक मुलाकातें इस बात का संकेत हैं कि मौर्य संगठन और सरकार दोनों के बीच संतुलन साधने में माहिर हैं।

केशव प्रसाद मौर्य की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वे संघ और संगठन की नर्सरी से निकले नेता हैं। उनकी छवि एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर उपमुख्यमंत्री तक की यात्रा करने वाले नेता की है। यह बात उन्हें जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच बेहद लोकप्रिय बनाती है। पार्टी को ऐसे ही चेहरे की तलाश है जो कार्यकर्ताओं को फिर से ऊर्जा दे सके।

2027 विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अब मिशन मोड में आ चुकी है। वहीं विपक्ष खासकर अखिलेश यादव का पीडीए फार्मूला बीजेपी के परंपरागत वोट बैंक के लिए चुनौती बन रहा है। ऐसे में मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी विपक्ष को सामाजिक समीकरणों के स्तर पर भी कड़ी टक्कर देने की रणनीति पर काम कर रही है।

केशव प्रसाद मौर्य को संगठन में भेजने की सबसे मुख्य वजह मुख्यमंत्री दावेदारी को लेकर आपस में टकराव माना जा रहा है। बीजेपी नेतृत्व योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहता है लेकिन एक धड़ा केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग कर रहा है। समय-समय पर बीजेपी के भीतर से ऐसी आवाजे उठती भी रही है। ऐसे में बीजेपी केशव मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप कर योगी आदित्यनाथ का रास्ता साफ कर देना चाहती है।

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