मेक इन इंडिया : सबसे आगे डिफेंस सेक्टर

नई दिल्ली। सरकार ने मेक इन इंडिया के तहत ज्यादा से ज्यादा उत्पादन देश में ही करने की मुहिम शुरू की है। इससे जहां देश में उत्पादन बढ़ रहा है, वहीं सार्वजनिक क्षेत्र की अनेक खस्ताहाल कंपनियां मालामाल होने लगी हैं। दरअसल, मेक इन इंडिया में सरकारी कंपनियों का भी उत्पादन बढ़ा है। सरकार भी खुलकर उनसे खरीद कर रही है, या उनकी सेवाएं ले रही है।

मेक इन इंडिया का फायदा सबसे ज्यादा डिफेंस सेक्टर की कंपनियों को मिला है। बेहद खराब हालत वाली आयुध निर्माण फैक्टरियों को सरकार ने सार्वजनिक रक्षा कंपनियों के रूप में तब्दील किया। इसके बाद इन कंपनियों को सेनाओं, अर्धसैनिक बलों से बड़ी संख्या में ऑर्डर मिले हैं। कुछ देशों ने भी उनसे गोला-बारूद खरीदा है। इससे खस्ताहाल कंपनियां मालामाल हो गईं।

म्यूनिसन इंडिया लिमिटेड (एमआईएल) का राजस्व जो 2021-22 में 2571 करोड़ था और उसमें कुल मुनाफा महज 22 करोड़ था, वह 2023-24 में कई गुना बढ़ गया। इस वर्ष कंपनी ने 7,322 करोड़ का राजस्व अर्जित किया, जिसमें उसका शुद्ध मुनाफा 559 करोड़ हो गया।

इसी प्रकार इस अवधि में दो और कंपनियों आर्मर्ड व्हीकल्स लिमिटेड (एवीएनएल) का राजस्व 2569 करोड़ से बढ़कर 4663 तथा मुनाफा 54 करोड़ से बढ़कर 605 करोड़ हो गया। एडवांस वैपन्स एंड इक्विपमेंट इंडिया लिमिटेड (एडब्ल्यूईआईएल) का राजस्व 1089 करोड़ से 2039 तथा मुनाफा 4 करोड़ से 20 करोड़ हुआ। इसी तरह यंत्र इंडिया लिमिटेड जो 123 करोड़ के घाटे में था, वह 425 करोड़ के मुनाफा में आ चुका है। ऐसा सिर्फ रक्षा क्षेत्र की कंपनियों के साथ ही नहीं बल्कि अन्य मंत्रालयों की कंपनियों के साथ भी हुआ है।

सीडॉट स्वदेशी उपकरण विकसित कर रहा
संचार मंत्रालय की कंपनी सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (सीडॉट) का राजस्व 2020-21 में महज 89 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 में बढ़कर 500 करोड़ रुपये पहुंच गया। यह संस्थान टेलीकॉम और आईटी के स्वदेशी उपकरण विकसित कर रहा है। साथ ही आपदा प्रबंधन की तकनीकों, विभिन्न ऐप आदि भी विकसित कर चुका है।

सीडॉट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. राजकुमार उपाध्याय कहते हैं कि सिर्फ देश के लिए ही नहीं बल्कि हम अपनी तकनीकें अब निर्यात करने को भी अग्रसर हैं। हमारे प्रोजेक्ट कंबोडिया, अल सिल्वाडोर तथा मॉरीशस में भी चल रहे हैं। संस्थान ने अब अपने राजस्व को एक हजार करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। संस्थान को अपनी तकनीकों, कंसल्टेंसी से राजस्व प्राप्त हो रहा है।

एचएलएल इंफ्राटेक का राजस्व भी बढ़ा
इसी प्रकार स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन कार्यरत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल इंफ्राटेक सर्विसेज का राजस्व जो 2022-23 में 362 करोड़ था वह 2023-24 में बढ़कर 425 करोड़ पार कर गया। यह कंपनी अस्पतालों की स्थापना करती है। एम्स समेत तमाम कई बड़े निजी अस्पतालों को भी इसने स्थापित किया है।

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