
नई दिल्ली। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए आईटीआर-2 और आईटीआर-3 फार्म (ITR-2 and ITR-3 Forms) को एक्टिव कर दिया है। इस बार इनमें कई बड़े बदलाव किए गए हैं। इसके साथ ही इन फॉर्म के लिए एक्सेल सुविधा भी जारी कर दी गई है। इससे पूंजीगत लाभ, क्रिप्टो आय, विदेशी संपत्ति और व्यावसायिक आय वाले करदाताओं को अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने में आसानी होगी।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के मुताबिक, इस वर्ष करदाताओं को उन सभी फॉर्म में बदलावों का ध्यान रखना होगा, जो उन्हें भरने हैं। जारी किए गए सभी नए आईटीआर फॉर्म में करदाताओं को कर-बचत निवेश, मकान किराया भत्ता (HRA) और वेतन के अलावा अन्य आय पर कर कटौती (TDS) के बारे में अधिक जानकारी देनी होगी।
जैसे- ITR-2 और 3 में पूंजीगत लाभ, परिसंपत्तियों और देनदारियों का अधिक विस्तृत विवरण देना होगा। विशेष रूप से उन करदाताओं को राहत दी गई है, जिनकी इक्विटी और इक्विटी म्यूचुअल फंड से दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ ₹1.25 लाख रुपये तक हुआ है। अब वे आईटीआर-1 या 4 भर सकते हैं। पहले उन्हें आईटीआर-2 अथवा 3 फार्म भरना पड़ता था।
यह एक ऑफलाइन सॉफ्टवेयर टूल है, जो माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल पर आधारित होता है। इसका इस्तेमाल कर करदाता आसानी से खुद ही आईटीआर फॉर्म दाखिल कर सकते हैं। इसकी विशेषता यह है कि यह टूल करदाताओं को ऑफलाइन तरीके से आईटीआर फॉर्म भरने और जमा करने की सुविधा देता है।
इसका फायदा यह है कि अगर करदाता ऑनलाइन फॉर्म भरने में सहज नहीं हैं, तो वह पहले आराम से ऑफलाइन रिटर्न तैयार कर सकते हैं और बाद मे उसे अपलोड कर सकते हैं। इस टूल में करदाता जानकारी भरते हैं और यह एक JSON फाइल बनाकर देता है, जिसे बाद में पोर्टल पर अपलोड करना होता है।
यह टूल पहले से भरे हुए डाटा (प्री-फिल्ड डेटा) को उपलब्ध कराने की सुविधा भी प्रदान करता है, जो ई-फाइलिंग पोर्टल से डाउनलोड किया जा सकता है। इसके चलते समय की बचत होती है और जानकारियां भरते वक्त त्रुटियों की गुंजाइश लगभग खत्म हो जाती हैं। इसके अलावा करदाता आसानी से फॉर्म को सत्यापित कर सकते हैं।
एक करोड़ से अधिक की आय पर ही संपत्ति की जानकारी देनी होगी, पहले यह सीमा 50 लाख रुपये थी। अब टीडीएस कटौती करने वाले की जानकारी नहीं, बल्कि यह भी जानकारी देनी होगी कि टीडीएस किस धारा के तहत कटा है। इससे आय और कटौती का सही मिलान करना आसान होगा। पूंजीगत लाभ की जानकारी देने वाले सेक्शन में दो बड़े बदलाव हुए हैं। अब करदाता को यह बताना होगा कि संपत्ति या निवेश की बिक्री 23 जुलाई 2024 से पहले हुई या उसके बाद।
बिक्री की तारीख के हिसाब से कर की दर तय होगी। 1 अक्टूबर 2024 के बाद अगर किसी शेयर की पुनर्खरीद होती है और करदाता उस पर लाभांश आय दिखाता है, तो अब वह उससे होने वाले पूंजीगत नुकसान को भी दिखा सकता है। पहले यह विकल्प नहीं था। विदेशी संपत्ति और विदेशी स्रोतों से आय की जानकारी विस्तार से देनी होगी। इसके अलावा क्रिप्टो करेंसी के हर लेन-देन को शेड्यूल वीडीएफ में दर्ज करना होगा। इन पर 30% टैक्स लगेगा।