
लखनऊ। दो साल तक बच्चे को लखनऊ के प्रतिष्ठित स्कूल में पढ़ाया। मोटी फीस दी। स्कूल ने 12 वीं का बोर्ड एग्जाम भी दिलवाया, रिजल्ट भी आ गया। ग्रैजुएशन के लिए मार्कशीट जमा की तो पता चला कि फर्जी है। घपले के सिरे खुलने शुरू हुए तो पता चला-एडमिशन, एग्जाम, प्रैक्टिकल सब फर्जी था। अब बच्चे के करिअर पर सवालिया निशान है।
प्रशांत शुक्ला एलयू के फिलॉसफी विभाग में शिक्षक हैं। दो साल पहले उन्होंने बेटे का दाखिला लोयोला इंटरनैशनल स्कूल में 11वीं में करवाया। वह NEET की तैयारी भी कर रहा था। दो साल तक सब सामान्य रहा। प्रशांत का कहना है कि 12 वीं के बोर्ड एग्जाम से पहले स्कूल की ओर से बताया गया कि प्रवेशपत्र पर लिखा सेंटर बदल गया है। बच्चे का एग्जाम स्कूल में ही होगा। एग्जाम के बाद बच्चे का रिजल्ट मोबाइल पर भेज दिया गया। दो दिन बाद बेटे के रोल नंबर से CBSE बोर्ड की वेबसाइट पर रिजल्ट चेक किया तो पता चला कि रिजल्ट किसी शांभवी बैनर्जी का था।
शिकायत करने पर स्कूल के कर्मचारी रणधीर सिंह ने कहा कि इसे ठीक करवा देंगे, यह तकनीकी खामी है। इसके बाद उन्हें स्कूल की ओर से मार्कशीट भी भेज दी गई। मार्कशीट के आधार पर जब बच्चे ने ग्रैजुएशन के लिए अप्लाई किया तो पता चला कि वह फर्जी है।
इसमें दो हफ्ते बीत गए। प्रशांत ने स्कूल प्रबंधक एमपी सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि आप रणधीर से ही बात कीजिए वह ही इसे ठीक करवाएगा। एक से डेढ़ महीने तक टालने के बाद 10 जुलाई को रणधीर ने कहा कि आपके बच्चे का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ और मार्कशीट फर्जी है। प्रशांत ने गोमतीनगर थाने में शिकायत की। पुलिस स्कूल पहुंची तो स्कूल वालों ने पांच दिन का और समय मांगा। पांच दिन बीत चुके है। प्रशांत का कहना है कि हमने पुलिस से बुधवार को केस दर्ज करने को कहा है।
प्रशांत ने बताया कि दो साल 90-90 हजार रुपये फीस जमा की जिसकी रसीद है। इसके बाद दिसंबर-2024 में एग्जाम फीस मांगी गई तो 5,500 रुपये स्कूल के अकाउंट में ऑनलाइन ट्रासफर किए। सबका रिकॉर्ड मौजूद है।