
नई दिल्ली। देश के 25वें मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार रिटायर हो गए। उन्होंने अपने विदाई भाषण में कई महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने इस ओर भी देश का ध्यान दिलाया कि कैसे हारने वाले दल अब बिना कोई सोच-विचार और प्रमाण के निर्वाचन आयोग पर उंगली उठा देते हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम इच्छा के अनुरूप नहीं आने पर चुनाव आयोग को बलि का बकरा बना दिया जाता है। यह सही नहीं है। उन्होंने चुनाव के समय और मतगणना के दौरान फैलने वाली झूठी खबरों और अफवाहों का भी जिक्र किया।
नई दिल्ली स्थित भारत निर्वाचन आयोग में अपने विदाई भाषण में राजीव कुमार ने न्यायपालिका से भी एक अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि अदालती कार्यवाही में चुनाव की समय-सीमा का ध्यान रखा जाए। उन्होंने कुछ जरूरी चुनावी सुधारों की बात की। उन्होंने कहा कि चुनाव बाद मतदाताओं पर तरह-तरह के अत्याचार रोकने के लिए ईवीएम से वोटों की गिनती के वक्त टोटलाइजर मशीन के उपयोग और घरेलू प्रवासियों के साथ-साथ एनआरआई वोटरों को वोट देने में मदद करने के लिए तकनीकी समाधान जैसे उपाय होने चाहिए।
उन्होंने राजनीतिक दलों से अपील की कि वे मुफ्त उपहारों की घोषणाओं के साथ स्पष्ट वित्तीय जानकारी दें। राजनीतिक बहस के चिंताजनक स्वरूप पर भी विचार करें। कुमार सितंबर 2020 से चुनाव आयुक्त और मई 2022 से मुख्य चुनाव आयुक्त रहे। साढ़े चार साल के अपने कार्यकाल में उन्होंने एक पूरा चुनावी चक्र देखा। 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के विधानसभा चुनाव, 2022 के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव, 2024 के लोकसभा चुनाव और राज्यसभा के चुनाव।
हालांकि, कुमार ऐसे समय में पद छोड़ रहे हैं जब विपक्षी दल चुनाव आयोग के कामकाज पर सवाल उठा रहे हैं। महाराष्ट्र में मतदाता सूची की स्थिति से लेकर मतदान केंद्रों की वीडियो रिकॉर्डिंग शेयर करने से रोकने के लिए नियमों में बदलाव, मतदान के आंकड़े और EVM-VVPAT सत्यापन जैसे कई मुद्दों पर अदालती मामले चल रहे हैं। अपने विदाई भाषण में उन्होंने इन मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा कि चुनाव या मतगणना के दौरान भ्रामक बातें फैलाना जानबूझकर की गई कोशिश है। इसका मकसद तथ्यों को तोड़ना-मरोड़ना और मतदाताओं को गुमराह करना है। सभी उम्मीदवार और दल पूरी पारदर्शिता के साथ हर चरण में शामिल होते हैं।
बिना किसी आपत्ति या अपील के हर कदम में भाग लेने के बावजूद बाद में संदेह पैदा करने की कोशिश करना ठीक नहीं है। बातचीत हमेशा सबसे अच्छा तरीका होना चाहिए। आयोग हमेशा सोच-समझकर और संयम से प्रतिक्रिया करता है। यह एक चिंताजनक चलन है और इसे जल्द ही बंद किया जाना चाहिए। उन्होंने उन कई डिजिटल पोर्टल्स की ओर भी ध्यान दिलाया जो भ्रामक बातें और अर्धसत्य फैला रहे हैं। कुमार ने कहा, ‘चुनाव के दौरान और मतगणना के समय भ्रामक सूचनाएं फैलाई जाती हैं। यह तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने और मतदाताओं को गुमराह करने की एक सोची समझी रणनीति है। सभी उम्मीदवार और पार्टियां पूरी पारदर्शिता के साथ चुनाव प्रक्रिया के हर चरण में शामिल होती हैं। जब वे बिना किसी आपत्ति या अपील के हर कदम में हिस्सा लेते हैं, तो बाद में शक पैदा करना उचित नहीं है। बातचीत हमेशा सबसे अच्छा रास्ता होता है। आयोग हमेशा संयम और गंभीरता से काम लेता है, लेकिन यह एक चिंताजनक प्रवृत्ति है और इसे जल्द ही खत्म किया जाना चाहिए।’