सकट चौथ का व्रत करने से प्रसन्न होते हैं श्रीगणेश

सनातन धर्म व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व है। सकट चौथ का व्रत काफी महत्वपूर्ण है। सकट चौथ व्रत माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। चतुर्थी तिथि के दिन भगवान गणेश और सकट चौथ का व्रत माता सकट को समर्पित है। इस व्रत के दौरान भगवान गणेश और सकट माता की पूजा की जाती है।  माना जाता है कि इस दिन माताएं अपने संतान की कल्याण की कामना से व्रत करती हैं।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सकट चौथ का व्रत करने से गौरी पुत्र श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं और जीवन की सारी विघ्न-बाधाओं से रक्षा करते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि सकट चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है। इस व्रत में पूरी तरह से पानी पीने की मनाही होती है। शाम को चंद्रदेव को अर्घ्य देने का बाद व्रत का पारण करना चाहिए।

सकट चौथ व्रत पारण करने के बाद कुछ जगहों पर महिलाएं कुछ भी नहीं खाती हैं, लेकिन कुछ जगहों पर महिलाएं मूंगफली व फलाहार किया करती है। इस दिन व्रत पारण के समय शकरकंद खाने का सबसे ज्यादा महत्व है। सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को तिलकुट का भोग लगाया जाता है।

इसके साथ ही तिल से बनीं चीजें, तिल के लड्डू या तिल से बनी मिठाई का भोग जरुर लगाए जाता है। सकट चौथ के दिन लाल और पीले रंग के वस्त्र पहनना शुभ माना है। इस दिन काले व सफेद रंग के वस्त्र भूलकर भी धारण न करें। 

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