मालदा: रेलवे में लोको पायलटों की भारी कमी है. इस कारण काम के निर्धारित घंटों के बावजूद इन्हें नियमित रूप से ओवरटाइम करना पड़ता है. उन्हें ट्रेन को अधिक समय तक चलाना होता है. रेलवे का नियम है कि लोको पायलट नौ घंटे तक ट्रेन चलाएंगे, लेकिन वर्तमान में हालात ऐसे बन गए हैं कि ज्यादातर लोको पायलटों को ओवरटाइम करना पड़ता है. उन्हें 10-15 घंटे तक काम करना पड़ता है.
लोको पायलटों के यूनियन का कहना है कि बीते कई सालों से बड़े स्तर पर लोको पायलटों की भर्ती नहीं हुई है. दूसरी तरफ ट्रेनों की संख्या लगातार बढ़ रहा है. 60 की उम्र में पहुंच चुके लोको पायलट रिटायर भी हो रहे हैं. ऐसे में उनपर काम का दबाव काफी बढ़ गया है. उनके अनुसान मौजूदा वक्त में रेलगाड़ियों की संख्या के हिसाब से लोको पायलट नहीं हैं. बड़ी संख्या में लोको पायलट के पद खाली हैं. उनका कहना है कि ट्रेनों को 9 घंटे की जगह 14 घंटे तक लगातार चलाने पर भी विचार हो रहा है.
इन्हीं सब चीजों के विरोध में ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के सदस्य धरने पर बैठ गए. इस बारे में लोको पायलट एसोसिएशन के सदस्य प्रियरंजन भारती ने कहा कि नौकरी की सुरक्षा के बारे में हमें कुछ नहीं कहना है. ऐसे में ट्रेन चलानी पड़ेगी. नौ घंटे की जगह 14-15 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ रही है. रिक्त पदों पर भर्ती नहीं हो रही है. साथ ही हम अपने विभिन्न मुद्दों को लेकर मालदा डीआरएम कार्यालय के समक्ष धरना दे रहे हैं.
इस विरोध कार्यक्रम में मालदा मंडल के सौ से अधिक लोको पायलटों ने भाग लिया. पूर्व रेलवे के मालदा डीआरएम कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया गया. उनके मुताबिक ट्रेन चलाने में लोको पायलट की अहम भूमिका होती है. रेल मंत्रालय कामकाज के मामले में अपनी ही गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहा है. परिणामस्वरूप ट्रेन चालकों को शारीरिक दिक्कत के अलावा कई अन्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. संगठन की ओर से मालदा डीआरएम को एक प्रतिवेदन भी दिया गया. वहां लोको पायलटों की विभिन्न समस्याओं पर प्रकाश डाला गया. लोको पायलटों ने कहा कि अगर समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वे भविष्य में पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन करेंगे.