सपा अध्यक्ष अखिलेश पर भड़के केशव मौर्य

 लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 2027 विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा तेजी से चढ़ता जा रहा है। एक ओर जहां सभी दल अपने-अपने समीकरण साधने में जुटे हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। इसी क्रम में डिप्‍टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अखिलेश यादव पर करारा प्रहार किया है। केशव मौर्य ने अखिलेश पर मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया। कहा- अखिलेश ने मुस्लिम, मस्जिद और मदरसों को अपने ‘वोट का बाजार’ बना रखा है। उनके इस बयान को चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सोमवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि हिंदुओं की आस्था को व्यापार बताने का ‘दुस्साहस’ करने वाले सपा बहादुर अखिलेश यादव ने सही मायने में मुस्लिम, मस्जिद और मदरसों को अपने ‘वोट का बाज़ार’ बना रखा है। सपाइयों को अपने बहादुर से समाजवादी पार्टी का नाम बदलकर ‘मदरसावादी पार्टी’ रखने की मांग करनी चाहिए। हालांकि सपा की ओर से अभी इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पार्टी के कुछ नेताओं ने इशारों में मौर्य के बयान को ध्रुवीकरण की राजनीति बताया है।

वहीं केशव प्रसाद मौर्य का यह बयान सिर्फ सपा पर हमला नहीं बल्कि बीजेपी की आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है। जानकारों की माने तो प्रदेश में हिंदू वोट बैंक को एकजुट रखने और मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोपों को भुनाने के उद्देश्य से इस तरह के बयान दिए जा रहे हैं। वहीं इस बीच यह भी चर्चा ज़ोर पकड़ रही है कि उत्तर प्रदेश बीजेपी में बड़े स्तर पर बदलाव हो सकता है और केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिल सकती है। हालांकि आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन मौर्य का आक्रामक रुख इस संभावना को और बल दे रहा है।

वहीं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा था कि धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की नकली बैसाखियों के सहारे कांग्रेस ने दशकों तक सत्ता पर कब्जा बनाए रखा, लेकिन अब कालचक्र ने उनका तिलिस्म तोड़ दिया है। यूपी में जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक हमले और जवाबी हमले तेज़ होते जा रहे हैं। केशव मौर्य का बयान न सिर्फ अखिलेश यादव पर हमला है, बल्कि भाजपा की चुनावी धारा और भावी रणनीति की ओर भी संकेत करता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि सपा इसका क्या जवाब देती है और वोटर किसे नज़रअंदाज़ करता है और किसे अपनाता है।

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