देश में कार्तिक पूर्णिमा (देव दीपावाली) की धूम

आज, 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह विशेष दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान श्री विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही, चंद्र देव की पूजा का भी खास महत्व होता है, क्योंकि माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी 64 कलाओं के साथ आकाश में विराजमान होते हैं, जो विशेष रूप से शुभ होते हैं।

माँ लक्ष्मी की पूजा:
कार्तिक पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और आर्थिक समृद्धि बनी रहती है। इस दिन विशेष रूप से दीप जलाने का महत्व है, क्योंकि दीपों से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी माता की पूजा से घर में धन की कोई कमी नहीं रहती और कर्ज से संबंधित समस्याएँ दूर होती हैं।

श्री विष्णु की पूजा:
भगवान श्री विष्णु की पूजा करने से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। इस दिन श्री विष्णु के अर्पण में विशेष रूप से शंख, पीतल के दीपक, और जल का महत्व है। भक्त श्री विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए इस दिन विशेष पूजा अर्चना करते हैं।

चंद्र देव की पूजा:
कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र देव को अर्ध्य देना भी शुभ माना जाता है। इस दिन विशेष रूप से चंद्रमा को जल अर्पित करने से मानसिक शांति और तनाव में कमी आती है। साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन चंद्र देव की पूजा से जीवन की हर प्रकार की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।

देव दीपावली:
कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से वाराणसी और अन्य तीर्थ स्थलों पर दीपों की बत्तियां जलाने की परंपरा है, जो दिव्य आभा और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती है।

इस दिन को मनाने के साथ, लोग विशेष स्नान, व्रत और दान भी करते हैं, ताकि जीवन में पुण्य अर्जित किया जा सके। कार्तिक पूर्णिमा का पर्व न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक अवसर भी है जब लोग अपने घरों को सजाते हैं और सामूहिक रूप से यह पर्व मनाते हैं।

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